Delhi: ग्रीन कॉरिडोर बनाकर फोर्टिस अस्पताल से 11 मिनट में एम्स पहुंचाया दिल, जानें क्या है पूरा मामला?

Edited By rajesh kumar,Updated: 01 Mar, 2023 07:30 PM

heart reached aiims in 11 minutes fortis hospital making green corridor

सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 32 वर्षीय व्यक्ति का दिल यहां एक मरीज को दान दे दिया गया और उसे यहां एक निजी अस्पताल तथा एम्स के बीच बुधवार को 10 किलोमीटर लंबा ‘हरित कोरिडोर' बनाकर मरीज तक पहुंचाया गया।

नेशनल डेस्क: सड़क हादसे में जान गंवाने वाले 32 वर्षीय व्यक्ति का दिल यहां एक मरीज को दान दे दिया गया और उसे यहां एक निजी अस्पताल तथा एम्स के बीच बुधवार को 10 किलोमीटर लंबा ‘हरित कोरिडोर' बनाकर मरीज तक पहुंचाया गया। अस्पताल प्राधिकारियों ने यह जानकारी दी। डॉक्टरों ने बताया कि 25 फरवरी की सुबह एक सड़क हादसे के बाद एक व्यक्ति को ‘‘अत्यधिक गंभीर हालत'' में वसंत कुंज के फोर्टिस हॉस्पिटल में लाया गया। उसकी सीटी जांच में दिमाग में गंभीर चोट पहुंचने का पता चला।

फोर्टिस हॉस्पिटल की एक प्रवक्ता ने बताया कि डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बावजूद मरीज को बचाया नहीं जा सका। उसे ‘‘ब्रेन डेड (ऐसी अवस्था जब मस्तिष्क काम करना बंद कर दे)'' घोषित कर दिया गया जिसके बाद उसके परिवार ने उसके अंग दान करने की सहमति दी। प्रवक्ता ने बताया कि अंग बुधवार को तीन अलग-अलग अस्पतालों को भेजे गए। उसके एक गुर्दे का इस्तेमाल अस्पताल में ही किया गया।

फोर्टिस हॉस्पिटल ने एक बयान में कहा कि उसका दिल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक मरीज को दान किया गया, यकृत यहां सर गंगा राम हॉस्पिटल को दिया गया तथा गुर्दा किडनी दिल्ली के शालीमार बाग में मैक्स हॉस्पिटल में एक मरीज को दान दिया गया। इसमें कहा गया है कि फोर्टिस हॉस्पिटल से हृदय को एम्स पहुंचाने के लिए हरित कोरिडार बनाया गया और महज 11 मिनट में 10 किलोमीटर की दूरी तय कर ली गयी।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जिस मरीज को हृदय दान किया गया है उसकी प्रतिरोपण सर्जरी अब भी एम्स में चल रही है।'' राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 2022 में 30 अंग सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किए जाने के साथ ही 11 शव दान किए गए। डॉक्टरों ने बताया कि भारत में हर वर्ष अंग प्रतिरोपण की प्रतीक्षा में सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। गलत धारणाओं और जागरूकता की कमी के कारण अंग दानदाताओं की कमी है।

वहीं, साकेत के मैक्स सुपर स्पैश्यिलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने 51 वर्षीय व्यक्ति के गुर्दे में दायीं ओर ‘‘तरबूज के आकार के दो ट्यूमर'' और पेट के बायीं ओर ‘‘फुटबॉल के आकार के ट्यूमर'' को निकाला। उन्होंने दावा किया कि यह गुर्दे में सबसे बड़े ट्यूमर हटाए जाने का दुनिया का पहला मामला है। बिहार के बिवाश चंद्र तिवारी ने दो-ढाई महीने से भूख न लगने और कब्ज की शिकायत की थी। उन्होंने पटना के अस्पतालों में डॉक्टरों से जांच करायी थी जहां ट्यूमर का पता चला था।

 

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