भारत-अमेरिका का तालिबान से आह्वान- UNSC प्रस्ताव का करे पालन, आंतकवादियों को न दे पनाह

Edited By Tanuja,Updated: 12 Apr, 2022 05:50 PM

india and us urge taliban to follow unsc resolution

भारत और अमेरिका ने तालिबान नेतृत्व से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का अनुरोध किया है।...

इंटरनेशनल डेस्कः भारत और अमेरिका ने तालिबान नेतृत्व से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का अनुरोध किया है। साथ ही दोनों देशों ने म्यांमा में हिंसा रोकने का आह्वान किया है। भारत-अमेरिका के चौथे ‘टू प्लस टू' मंत्री स्तरीय संवाद के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों के मंत्रियों ने तालिबान से अफगानिस्तान में महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों समेत सभी नागरिकों के मानवाधिकारों का सम्मान करने तथा उन्हें यात्रा की आजादी देने का आग्रह किया है।

 

जो बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल में हुई पहली ‘टू प्लस टू' वार्ता सोमवार को वाशिंगटन में आयोजित की गई जिसमें भारतीय पक्ष की अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने संवाद के लिए वाशिंगटन में सिंह और जयशंकर का स्वागत किया। इस संवाद से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की डिजिटल बैठक हुई।

 

विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार, ‘‘मंत्रियों ने तालिबान से सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 (2021) का पालन करने का आह्वान किया जिसमें मांग की गयी है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल फिर कभी किसी देश को धमकाने या उस पर हमला करने अथवा आतंकवादियों को पनाह देने या प्रशिक्षण देने, अथवा आतंकवादी हमलों की साजिश रचने या उन्हें आर्थिक मदद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।''

 

उन्होंने एक समावेशी अफगान सरकार तथा मानवीय सहायता की आपूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र एवं उसके साझेदारों को निर्बाध पहुंच प्रदान किये जाने के महत्व को रेखांकित किया। बयान में कहा गया, ‘‘मंत्रियों ने सभी अफगानों के लिए समावेशी एवं शांतिपूर्ण भविष्य में मदद के मकसद से अफगानिस्तान पर गहन विचार-विमर्श की प्रतिबद्धता दोहराई।'' तालिबान ने पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।

 

इसके दो सप्ताह बाद अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी हुई थी। इसके बाद अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात जाना पड़ा था। मंत्रियों ने म्यांमा में हिंसा समाप्त किये जाने का भी आह्वान किया। उन्होंने वहां एकपक्षीय तरीके से हिरासत में लिये गये लोगों की रिहाई और लोकतंत्र तथा समावेशी शासन के रास्ते पर त्वरित वापसी की भी मांग की। म्यांमा की सेना ने आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को अपदस्थ करके एक फरवरी को सत्ता पर कब्जा कर लिया था। सू ची उन करीब 3,400 लोगों में शामिल हैं जो अब भी सैन्य जुंटा की गिरफ्त में हैं।  

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