Edited By Mehak,Updated: 10 Nov, 2025 06:34 PM

किडनी डैमेज अक्सर ‘साइलेंट’ तरीके से बढ़ता है और शुरुआती चरणों में पता नहीं चलता। डॉ. संजीव बागई के अनुसार थकान, भूख में बदलाव, हाथ-पैर या चेहरे में सूजन, बार-बार पेशाब या झागदार मूत्र किडनी खराब होने के संकेत हैं। ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को...
नेशनल डेस्क : किडनी डैमेज को अक्सर 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि कई बार यह तब तक पता नहीं चलता जब तक बीमारी काफी बढ़ न जाए। कई मरीजों को तब समझ आता है जब किडनी का 70-80% फंक्शन खो चुका होता है।
खामोश लक्षण जो अनदेखे न करें
पद्मश्री पुरस्कार विजेता पीडियाट्रिक और नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. संजीव बागई के अनुसार, किडनी धीरे-धीरे खराब होती है, लेकिन शरीर इसके संकेत देने लगता है, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। साइलेंट लक्षणों में शामिल हैं:
- लगातार थकान या दिनभर सुस्ती महसूस होना।
- भूख कम लगना या अचानक बढ़ जाना।
- हाथ-पैर, चेहरे या आंखों के नीचे सूजन।
- बार-बार पेशाब आना, बहुत कम पेशाब होना या झागदार मूत्र।
- उच्च ब्लड प्रेशर और किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का आपसी असर।
किडनी की जांच और बचाव
डॉ. बागई कहते हैं कि हर 6-12 महीने में क्रिएटिनिन, यूरिन एनालिसिस और eGFR टेस्ट करवाना चाहिए। ये टेस्ट किडनी की स्थिति का सही अंदाज़ा देते हैं।
जीवनशैली और खानपान पर ध्यान दें
- नमक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन कम करें।
- ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें।
- पर्याप्त पानी पिएं।
- स्मोकिंग और अल्कोहल से दूर रहें।
सावधानी और समय पर जांच से किडनी डैमेज को रोकना या इसके असर को कम करना संभव है। शुरुआती चेतावनी संकेतों को अनदेखा न करें, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।