Budget 2023- पूर्ण बजट से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश की आर्थिक समीक्षा, जानें इसकी मुख्य बातें

Edited By Seema Sharma,Updated: 01 Feb, 2023 08:22 AM

nirmala sitharaman presented the economic review before the full budget

राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2022-23 पेश की। मंगलवार से बजट सत्र शुरू हो गया और आज (बुधवार) को संसद में बजट 2023-24 पेश किया जाएगा।

नेशनल डेस्क: राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट 2022-23 पेश की। मंगलवार से बजट सत्र शुरू हो गया और आज (बुधवार) को संसद में बजट 2023-24 पेश किया जाएगा। यह लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का अंतिम पूर्ण बजट है। मोदी सरकार साल 2014 से अब तक कुल 9 बजट पेश कर चुकी है और यह उसका 10वां बजट है।

 

आर्थिक समीक्षा में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर (GDP) अगले वित्त वर्ष में घटकर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आर्थिक समीक्षा 2022-23 में मंगलवार को यह अनुमान जताया गया। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल यह 8.7 प्रतिशत थी।

 

दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत को भी यूरोप में लंबे समय से चल रहे युद्ध से वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा है और आपूर्ति शृंखला  में  बाधाएं  भी  आई  हैं। समीक्षा में कहा गया, ‘‘ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं  की  तुलना  में  भारत ने चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना किया।’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत पी.पी.पी. (क्रय शक्ति समानता) के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 

 

समीक्षा में कहा गया, ‘‘अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसे लगभग फिर से पा लिया है। जो रुका हुआ था, उसे नया कर दिया है, और महामारी के दौरान तथा यूरोप में संघर्ष के बाद जो गति धीमी हो गई थी, उसे फिर से सक्रिय कर दिया है।’’ इसमें संकेत दिया गया है कि मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत चिंताजनक नहीं हो सकती है, हालांकि कर्ज की लागत लंबे समय तक ऊंचे स्तर पर रहने की संभावना है।

 

चालू खाते के घाटे (कैड) में बढ़ौतरी जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक जिन्सों की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। अगर कैड और बढ़ता है तो रुपया दबाव में आ सकता है। समीक्षा के मुताबिक, निर्यात के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में कमी आई है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वर्तमान कीमतों पर वृद्धि दर के 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है। श्रम बाजार और रोजगार क्षेत्र सुधार दर्ज करते हुए कोविड-पूर्व के दौर से भी बेहतर स्थिति में आ गया है।

 

बेरोजगारी कम हो गई है। वर्ष 2005-06 और 2019-20 के बीच 41.5 करोड़ लोग गरीबी से उबरे। सरकार 6.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे को पूरा करने की राह पर है। वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा में पिछले 8 वर्षों में देश के आर्थिक हालात को 1998-2002 के अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के शासनकाल में उत्पन्न स्थितियों के समान बताया है। इसमें उम्मीद जताई गई है कि महामारी के वैश्विक झटकों से उबरने, जिन्स की कीमतों में कम बढ़ौतरी से भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले दशक में अपनी क्षमता से आगे बढऩे के लिए पूर्ण रूप से तैयार है। 

 

आर्थिक समीक्षा की खास बातें

  • ग्रोथ रेट में गिरावट के अनुमान के बावजूद दुनिया की सबसे तेजी से बढऩे वाली इकॉनमी में भारत की जगह बनी रहेगी।
  • मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2022-23 के दौरान केंद्र सरकार 7.5 लाख करोड़ के कैपिटल एक्सपैंडीचर के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
  • आर.बी.आई. के मुताबिक मौजूदा पूरे वित्त वर्ष के दौरान महंगाई की दर औसतन 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
  • महंगाई दर के अडिय़ल रुख की वजह से ब्याज दरों में तेजी का दौर जारी रह सकता है।
  • सप्लाई की कमी के कारण खाने-पीने की चीजों खास तौर पर दालों और मसालों की कीमतें निकट भविष्य में ऊंची बनी रहेंगी।
  • चारे की कीमतों में तेजी के कारण दूध की कीमतें भी बढऩे के आसार हैं। 

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