Edited By Sahil Kumar,Updated: 25 Dec, 2025 03:22 PM

भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बिहार के युवा किंतु अनुभवी नेता नितिन नबीन जी को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह कोई सामान्य पदस्थापन नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर भरोसे, संगठनात्मक...
नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए बिहार के युवा किंतु अनुभवी नेता नितिन नबीन जी को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह कोई सामान्य पदस्थापन नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर भरोसे, संगठनात्मक परिवर्तन और आने वाले चुनावी दौर की रणनीति का संकेत है। यह नियुक्ति केवल पार्टी के भीतर युवा नेतृत्व को आगे लाने की दिशा में एक बड़ा कदम ही नहीं, बल्कि इससे पूर्वी भारत, विशेषकर बिहार को राष्ट्रीय राजनीति में एक नई पहचान भी मिली है।
नितिन नबीन जी का राजनीतिक सफर पूरी तरह भाजपा के भीतर ही विकसित हुआ है। पारिवारिक पृष्ठभूमि के बावजूद नितिन नबीन जी ने अपनी अलग पहचान मेहनत और निरंतर सक्रियता के माध्यम से बनाई। पिता के निधन के बाद उन्होंने पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से राजनीति की कमान संभाली और वर्ष 2006 से लगातार 5 बार वहां से जीत दर्ज की। साथ ही, बिहार में 3 बार मंत्रिपद से सुशोभित हुए। कम उम्र में राजनीति में प्रवेश करने वाले नितिन नबीन ने बिहार में पथ निर्माण मंत्री के रूप में सक्रिय और परिणाम देने वाले मंत्री की छवि बनाई। संगठन में भी उनको अनुशासित संगठनकर्त्ता, मजबूत रणनीतिकार और जमीनी स्तर से जुड़े नेता के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने राजनीति की शुरुआत भाजपा युवा मोर्चा से की, जहां राष्ट्रीय महामंत्री से लेकर बिहार प्रदेश अध्यक्ष तक की जिम्मेदारियां निभाई। यही संगठनात्मक अनुभव आगे चलकर उन्हें राज्य प्रभारी और फिर राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारियों तक ले गया। विधायक के रूप में उन्होंने अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे, शहरी विकास और कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी। इसके साथ ही वह बिहार सरकार में मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं, जहां उन्हें प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हुआ। वह भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े रहे और युवाओं को पार्टी से जोड़ने में सक्रिय भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राज्यों में पार्टी प्रभारी के रूप में उनके अनुभव को संगठन को मजबूत करने वाला माना जाता है।
12 जनवरी, 2011 को भाजपा युवा मोर्चा ने डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्मस्थली कोलकाता से राष्ट्रीय एकता यात्रा निकाली थी, जिसका उद्देश्य उनके बलिदान स्थल तक जाकर 26 जनवरी को श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराना था। उस समय भाजयुमो के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर थे, जबकि भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन भाजयुमो के महामंत्री थे। केंद्र की तत्कालीन यू.पी.ए. और जम्मू-कश्मीर सरकार के असहयोगी रवैए और विभिन्न अलगाववादी संगठनों की धमकियों के बावजूद यह राष्ट्रीय एकता यात्रा हुई और 26 जनवरी को नितिन नबीन जी ने लाल चौक पर सफलतापूर्वक तिरंगा फहराया था।
नितिन नबीन की नियुक्ति यह संदेश है कि पार्टी में जैनरेशन नैक्स्ट का काल शुरू हो चुका है। छत्तीसगढ़ में प्रभारी के रूप में उनकी भूमिका को सराहा गया। वहां बूथ स्तर का प्रबंधन, संगठन विस्तार और चुनावी तालमेल पर उनके फोकस का नतीजा निर्णायक जीत के रूप में सामने आया। इसके बाद माना जाने लगा कि नितिन नबीन जी राष्ट्रीय स्तर पर भी संगठन मजबूत करने की क्षमता रखते हैं। नितिन नबीन जी कायस्थ समाज से आते हैं। बिहार में इस समाज की आबादी भले ही 1 प्रतिशत से भी कम हो, लेकिन यह भाजपा का पारंपरिक और भरोसेमंद मतदाता वर्ग रहा है। यशवंत सिन्हा के बाद इस समाज के किसी नेता को इतने ऊंचे संगठनात्मक पद पर जिम्मेदारी मिलना भी राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
नितिन नबीन जी की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कई संदेश देती है। भाजपा अब नेतृत्व में पीढ़ीगत संतुलन स्थापित करना चाहती है, जिसमें अनुभव और युवापन दोनों का समावेश हो। यह निर्णय यह भी दर्शाता है कि पार्टी क्षेत्रीय संतुलन को भी महत्व दे रही है। राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का पद संगठन के दैनिक संचालन, विभिन्न राज्यों के साथ समन्वय और चुनावी रणनीति को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। इस दृष्टि से नितिन नबीन की भूमिका आने वाले चुनावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
नियुक्ति के तुरंत बाद नितिन नवीन जी ने बिहार सरकार में अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। यह भाजपा की 'एक व्यक्ति, एक पद' की नीति के अनुरूप कदम है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि वे अब पूर्णकालिक रूप से पार्टी संगठन के कार्यों पर ध्यान देंगे।