कर्नाटक की गुफा से रूसी महिला और दो बच्चों का किया गया रेस्क्यू, वीजा खत्म होने के बाद वहां रह रहे थे

Edited By Updated: 13 Jul, 2025 03:17 PM

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उत्तर कन्नड़ जिले के कुमता तालुक स्थित दुर्गम रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा से शुक्रवार को एक 40 वर्षीय रूसी महिला और उसके दो बच्चों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। यह महिला, नीना कुटीना उर्फ मोही, अपने दो छोटे बच्चों के साथ लगभग दो सप्ताह से...

नेशनल डेस्क : उत्तर कन्नड़ जिले के कुमता तालुक स्थित दुर्गम रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा से शुक्रवार को एक 40 वर्षीय रूसी महिला और उसके दो बच्चों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। यह महिला, नीना कुटीना उर्फ मोही, अपने दो छोटे बच्चों के साथ लगभग दो सप्ताह से एकांतवास में रह रही थी। पुलिस ने शनिवार को इसकी पुष्टि की।

पूजा, ध्यान और आत्मिक शांति की तलाश में गुफा में बिता रही थी दिन
पुलिस के अनुसार, मोही बीते कुछ समय से गुफा में आत्मिक शांति की तलाश में रह रही थी। उसने गुफा को एक आध्यात्मिक स्थल में परिवर्तित कर दिया था, जहां रुद्र मूर्ति स्थापित कर वह दिनभर पूजा और ध्यान में लीन रहती थी। वह अपने दो बच्चों प्रेया (6) और अमा (4) के साथ गोकर्ण के घने जंगलों और पहाड़ी इलाके में रह रही थी।

भूस्खलन के बाद गश्त के दौरान मिला सुराग
हाल ही में हुए भूस्खलन के बाद पुलिस की एक टीम नियमित गश्त पर थी, जब उन्होंने गुफा के पास कपड़े सूखते हुए देखे। यह सुराग मिलने पर जब टीम ने गुफा की ओर रुख किया, तो उन्हें मोही और उसके बच्चे वहां मिले। पुलिस अधीक्षक एम. नारायण ने बताया, "यह आश्चर्यजनक था कि एक महिला दो छोटे बच्चों के साथ इतने दुर्गम स्थान पर रह रही थी। सौभाग्य से वे सभी सुरक्षित थे और अच्छे स्वास्थ्य में पाए गए।"

2017 में खत्म हो गया था वीजा
जानकारी के अनुसार, मोही भारत में बिजनेस वीजा पर आई थी, जिसकी वैधता वर्ष 2017 में समाप्त हो चुकी थी। वह कब से देश में रह रही है, इसका स्पष्ट विवरण नहीं है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि वह गोवा से गोकर्ण आई और फिर पहाड़ियों में एकांतवास का जीवन शुरू कर दिया। उसने हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया था। रेस्क्यू के बाद, पुलिस ने मोही और उसके बच्चों के लिए गोकर्ण स्थित एक साध्वी द्वारा संचालित आश्रम में अस्थायी आवास की व्यवस्था की है। एक स्थानीय एनजीओ की मदद से रूसी दूतावास से संपर्क किया गया है और आधिकारिक निर्वासन (deportation) प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इस परिवार को बेंगलुरु लाया जाएगा।

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