Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jun, 2025 02:32 PM

आजकल लोग सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं। वजन नियंत्रित रखने और डायबिटीज से बचने के लिए बहुत से लोग शुगर-फ्री ड्रिंक्स का सेवन करने लगे हैं। बाजार में डाइट कोला, शुगर-फ्री चाय, कॉफी प्रीमिक्स और जीरो कैलोरी जूस जैसे विकल्प खूब बिक रहे...
नेशलन डेस्क: आजकल लोग सेहत को लेकर पहले से ज्यादा सतर्क हो गए हैं। वजन नियंत्रित रखने और डायबिटीज से बचने के लिए बहुत से लोग शुगर-फ्री ड्रिंक्स का सेवन करने लगे हैं। बाजार में डाइट कोला, शुगर-फ्री चाय, कॉफी प्रीमिक्स और जीरो कैलोरी जूस जैसे विकल्प खूब बिक रहे हैं। इनका दावा होता है कि ये ड्रिंक्स शरीर में शुगर नहीं बढ़ाते और हेल्दी रहते हैं। लेकिन एक हालिया रिसर्च ने इन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार, इन ड्रिंक्स में मौजूद Sucralose नामक आर्टिफिशियल स्वीटनर से लिवर को नुकसान हो सकता है और Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) का खतरा बढ़ सकता है। यह खबर उन सभी के लिए अहम है जो रोजाना शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं।
क्या कहती है रिसर्च?
रिसर्च में बताया गया है कि शुगर-फ्री ड्रिंक्स में इस्तेमाल होने वाला Sucralose दिमाग में भूख से जुड़े न्यूरोकेमिकल्स को सक्रिय कर देता है। इससे व्यक्ति को लगता है कि वह भूखा है, भले ही उसने अभी-अभी खाना खाया हो। लगातार इस ड्रिंक का सेवन करने से व्यक्ति ज्यादा खाने लगता है जिससे शरीर में कैलोरी जमा होती है और मोटापा बढ़ने लगता है। मोटापा बढ़ने के साथ-साथ शरीर में फैट लिवर में भी जमा होने लगता है जिससे फैटी लिवर की समस्या हो सकती है।
फैटी लिवर कैसे होता है?
जब लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है तो इसे Non-Alcoholic Fatty Liver Disease (NAFLD) कहा जाता है। यह बीमारी शराब न पीने वालों को भी हो सकती है। इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली, गलत खान-पान और अधिक फैट का जमा होना होता है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि शुगर-फ्री ड्रिंक का अधिक सेवन लिवर में सूजन, फाइब्रोसिस और ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी ला सकता है।
मेटाबॉलिज्म पर भी असर
शुगर-फ्री ड्रिंक का लगातार सेवन करने से शरीर का मेटाबॉलिज्म भी प्रभावित होता है। मेटाबॉलिज्म के धीमा पड़ने से शरीर कम कैलोरी बर्न करता है जिससे वजन और फैट तेजी से बढ़ते हैं। इसके अलावा शुगर-फ्री ड्रिंक आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे पाचन क्रिया और लिवर दोनों पर असर होता है।
डॉक्टरों की चेतावनी
दिल्ली के एक जाने-माने डॉक्टर के अनुसार, शुगर-फ्री ड्रिंक्स में कुछ ऐसे केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स भी होते हैं जो इंसुलिन के स्तर को असंतुलित कर सकते हैं। इससे डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। साथ ही यह ड्रिंक भूख बढ़ाने का कारण बनते हैं और लोग ज्यादा खाना खाने लगते हैं जिससे मोटापा और फैटी लिवर दोनों का खतरा होता है।
क्या शुगर-फ्री ड्रिंक्स पूरी तरह छोड़ देनी चाहिए?
रिसर्च यह नहीं कहती कि इन ड्रिंक्स को पूरी तरह छोड़ देना चाहिए लेकिन यह जरूर कहती है कि इनका नियमित और ज्यादा सेवन नुकसानदायक हो सकता है। यदि आप वजन घटाने या डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए इनका सेवन करते हैं तो इनकी मात्रा सीमित रखें।
क्या हैं बेहतर विकल्प?
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सादा पानी पीना सबसे सुरक्षित और सेहतमंद विकल्प है
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नारियल पानी, नींबू पानी और बिना शक्कर की हर्बल चाय
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घर पर बने फ्रूट इन्फ्यूज्ड वाटर या सब्जियों के जूस
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प्राकृतिक मिठास जैसे स्टेविया, शहद, या थोड़ी मात्रा में गुड़ का इस्तेमाल करें
फैटी लिवर से कैसे बचें?
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नियमित रूप से व्यायाम करें
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फाइबर और प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार लें
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प्रोसेस्ड और आर्टिफिशियल फूड्स से दूरी बनाएं
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रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं
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वजन को कंट्रोल में रखें
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रात का खाना हल्का और समय पर लें