मास्टर जी, कलम छोड़ो और कुत्ते गिनो...! सरकार के अनोखे फरमान के बाद दिल्ली में छिड़ी रार

Edited By Updated: 29 Dec, 2025 02:46 PM

teachers in delhi are in an uproar over the order to count dogs

राजधानी दिल्ली में शिक्षा निदेशालय (DoE) के एक नए आदेश ने शिक्षकों के बीच भारी हलचल और नाराजगी पैदा कर दी है। अब दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षक न केवल छात्रों को पढ़ाएंगे, बल्कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों की गणना (Census)...

नेशनल डेस्क: राजधानी दिल्ली में शिक्षा निदेशालय (DoE) के एक नए आदेश ने शिक्षकों के बीच भारी हलचल और नाराजगी पैदा कर दी है। अब दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों के शिक्षक न केवल छात्रों को पढ़ाएंगे, बल्कि सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों की गणना (Census) भी करेंगे। सरकार ने इस काम के लिए प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान से नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के निर्देश दिए हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय के अनुसार यह कदम 7 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया है। अदालत ने बढ़ते डॉग-बाइट (कुत्तों के काटने) के मामलों पर चिंता जताते हुए निर्देश दिया था कि स्कूलों, अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाए। स्थानांतरण से पहले इन कुत्तों की गणना, नसबंदी और टीकाकरण सुनिश्चित करना जरुरी है। सरकार ने इस अभियान को 'शीर्ष प्राथमिकता' पर रखा है। अकेले उत्तर-पश्चिम जिले से ही लगभग 118 शिक्षकों को इस काम की सूची में शामिल किया गया है।

शिक्षक संगठनों का विरोध

इस आदेश के जारी होते ही सरकारी स्कूल शिक्षक संघ (GSTA) ने कड़ा विरोध जताया है। शिक्षकों का तर्क है कि वे पहले से ही चुनाव ड्यूटी, जनगणना और अन्य प्रशासनिक कार्यों के बोझ तले दबे हुए हैं। अब आवारा कुत्तों की गिनती का काम उन्हें सौंपना न केवल उनके पेशे का अपमान है, बल्कि इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। शिक्षक संगठनों का सवाल है कि जब शहर में पशुपालन विभाग और नगर निगम (MCD) जैसे समर्पित विभाग मौजूद हैं, तो यह कार्य शिक्षकों को क्यों दिया जा रहा है?

 

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