चीन ने 10 लाख तिब्बती बच्चों को कर रखा कैद! 4500 साल पुरानी संस्कृति भी कर रहा नष्ट

Edited By Updated: 12 Jul, 2025 07:47 PM

up to 100000 tibetan children into boarding preschools

तिब्बत को लेकर चीन के इरादे एक बार फिर बेनकाब हुए हैं। तिब्बतन एक्शन इंस्टीट्यूट (TAI) की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की सरकार तिब्बत में बड़े पैमाने पर बोर्डिंग स्कूल चला रही ...

Bejing: तिब्बत को लेकर चीन के इरादे एक बार फिर बेनकाब हुए हैं। तिब्बतन एक्शन इंस्टीट्यूट (TAI) की नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की सरकार तिब्बत में बड़े पैमाने पर बोर्डिंग स्कूल चला रही है, जहां करीब 10 लाख तिब्बती बच्चों को जबरन रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन बच्चों में से  1 लाख से ज्यादा बच्चे सिर्फ 4 से 6 साल की उम्र के हैं। रिपोर्ट बताती है कि इन बोर्डिंग स्कूलों का असली मकसद तिब्बती बच्चों को उनके परिवार, गांव और पारंपरिक संस्कृति से दूर करना है ताकि उनकी 4500 साल पुरानी पहचान और परंपरा खत्म की जा सके। 

 
छोटे बच्चों से लेकर भिक्षु तक निशाने पर 
इस रिपोर्ट को बनाने में कई साल लगे। इसमें डॉ. ग्याल लो  जैसे शोधकर्ताओं ने तिब्बत के आमदो और खाम क्षेत्रों में 50 से ज्यादा स्कूलों का दौरा किया।  उन्होंने सैकड़ों अभिभावकों और बच्चों से बातचीत की, जिनसे पता चला कि इन बच्चों को घर से जबरन अलग कर स्कूलों में रखा जा रहा है।इन स्कूलों में बच्चों को तिब्बती बौद्ध धर्म, भाषा और परंपरा नहीं पढ़ाई जाती। इसके बजाय चीनी भाषा, कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा और चीन की 'एकरूप संस्कृति'  पर फोकस किया जाता है। बच्चों को अपनी मातृभाषा बोलने की आज़ादी भी नहीं होती।रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि चीन सिर्फ छोटे बच्चों तक ही सीमित नहीं है। 18 साल से कम उम्र के बौद्ध भिक्षुओं  को भी इन बोर्डिंग स्कूलों में भर्ती किया जा रहा है। ऐसे बच्चों को परिवार, मठ या समुदाय से अलग कर दिया जाता है, जिससे उनका बौद्ध धर्म और परंपरा से नाता टूट जाए।
 

दलाई लामा को बदनाम करने की कोशिश 
TAI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन एक तरफ दुनिया के सामने तिब्बत में विकास का झूठा चेहरा दिखाता है, वहीं दूसरी तरफ दलाई लामा जैसे संस्थानों को कमजोर और बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। वहीं बच्चों पर बोर्डिंग स्कूलों के जरिए दबाव बना रहा है ताकि नई पीढ़ी अपनी असली पहचान भूल जाए। तिब्बतन एक्शन इंस्टीट्यूट ने संयुक्त राष्ट्र, भारत सरकार और अन्य देशों से अपील की है कि वे चीन पर दबाव बनाएं ताकि इस रिपोर्ट की जांच कराई जाए। TAI का कहना है कि यह बच्चों के मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है, जिसे दुनिया को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
 

चीन ने दी सफाई
रिपोर्ट में दावा है कि चीन सरकार इस मुद्दे पर कोई पारदर्शी जानकारी नहीं देती। पहले भी तिब्बत को लेकर चीन ने कई बार UN की आपत्तियों को खारिज किया है। लेकिन अब जब लाखों बच्चों का भविष्य और पहचान दांव पर है, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव की मांग तेज़ हो गई है। यह पहली बार नहीं है जब चीन पर तिब्बत में अत्याचार के आरोप लगे हैं। दशकों से मानवाधिकार संगठनों और तिब्बती समुदाय ने चीन पर अपनी संस्कृति और धर्म को मिटाने की साजिश के आरोप लगाए हैं। लेकिन यह रिपोर्ट अब तक की सबसे बड़ी पुष्टि मानी जा रही है कि कैसे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है।
  

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