Edited By Parveen Kumar,Updated: 28 Nov, 2025 08:15 PM

दिल्ली में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ चुका है कि स्थिति “बहुत खराब” से निकलकर सीधे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में बदल गई है। शहर का औसत AQI लगभग 464 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह इससे भी कहीं ऊपर पहुंच गया। इतना ज़हरीला स्तर अब केवल धुंध या मौसम की...
नेशनल डेस्क: दिल्ली में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ चुका है कि स्थिति “बहुत खराब” से निकलकर सीधे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी में बदल गई है। शहर का औसत AQI लगभग 464 दर्ज किया गया, जबकि कई इलाकों में यह इससे भी कहीं ऊपर पहुंच गया। इतना ज़हरीला स्तर अब केवल धुंध या मौसम की समस्या नहीं- यह लोगों की ज़िंदगी पर सीधा हमला है।
AIIMS के पल्मोनरी मेडिसिन और स्लीप डिसऑर्डर्स विभाग के HOD डॉ. अनंत मोहन ने चेतावनी दी है कि दिल्ली की हवा गंभीर, खतरनाक और जानलेवा श्रेणी में पहुंच चुकी है। यह चेतावनी केवल डेटा नहीं, बल्कि अस्पतालों में बढ़ते मरीजों की वास्तविक स्थिति से उपजी है। हर वर्ष अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन इस बार हालात पूरी तरह नियंत्रण से बाहर होते दिख रहे हैं।
सबसे चिंता की बात यह है कि सिर्फ पुराने मरीज ही नहीं, बल्कि स्वस्थ लोग भी अचानक सांस और श्वसन संबंधी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
प्रदूषण का शरीर पर घातक असर
हवा में मौजूद बेहद छोटे कण- PM2.5 और PM10- फेफड़ों से होते हुए ब्लडस्ट्रीम तक पहुंच जाते हैं। इनका प्रभाव शरीर के लगभग हर हिस्से पर दिख सकता है:
फेफड़े और श्वसन तंत्र
- अस्थमा
- ब्रोंकाइटिस
- फेफड़ों की क्षमता में कमी
- खांसी, बलगम, गले में जलन
दिल और रक्त-वाहिकाएं
- हाई ब्लड प्रेशर
- हृदय रोग
- स्ट्रोक
- अनियमित धड़कन
लंबे समय में होने वाले गंभीर रोग
- फेफड़ों का कैंसर
- COPD
- क्रॉनिक श्वसन समस्याएं
दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य
- स्ट्रोक
- स्मृति कमजोर होना
- न्यूरोलॉजिकल विकार
जब हवा ज़हरीली हो, तो करें ये ज़रूरी सावधानियां
- बाहर निकलते समय N-95 मास्क पहनें
- अनावश्यक बाहर जाने से बचें, खासकर सुबह-शाम
- घर/ऑफिस में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
- पानी पर्याप्त मात्रा में पिएँ
- धुएँ, धूल और ट्रैफिक प्रदूषण से दूरी बनाकर रखें
- सांस लेने में कठिनाई, गले में जलन या लगातार खांसी हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर प्रदूषण का असर
दिमाग: स्ट्रोक, डिमेंशिया, पार्किंसंस
आंखें: कंजंक्टिवाइटिस, ड्राई आई, मोतियाबिंद
नाक: एलर्जी
दिल: इस्केमिक हार्ट डिजीज, हार्ट फेल्योर, अनियमित धड़कन
फेफड़े: कैंसर, अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, COPD
लिवर: हेपैटिक स्टीटोसिस, लिवर कैंसर
खून: ल्यूकेमिया, एनीमिया, क्लॉटिंग डिसऑर्डर
फैट/मेटाबोलिज़्म: मोटापा, मेटाबोलिक सिंड्रोम
पैंक्रियाज़: टाइप 1 एवं टाइप 2 डायबिटीज
पाचन तंत्र: गैस्ट्रिक व कोलोरेक्टल कैंसर, IBD
किडनी और यूरोजेनिटल: ब्लैडर कैंसर, किडनी कैंसर, प्रोस्टेट समस्याएँ
हड्डियां और जोड़: ऑस्टियोपोरोसिस, रूमेटिक डिजीज
त्वचा: एलर्जी, स्किन एजिंग, मुंहासे