मुस्लिम महिलाएं इस धार्मिक स्थल पर जाकर क्यों कटवाती है अपने बाल? जानिए अजीबो-गरीब रिवाज के बारे में

Edited By Updated: 04 Jun, 2025 10:12 AM

why do muslim women go to this religious place and get their hair cut

इस्लाम धर्म में हर मुसलमान के लिए जीवन में कम से कम एक बार हज करना अनिवार्य माना गया है बशर्ते वह शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम हो। इसे अल्लाह के करीब जाने और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होने का एक बड़ा मौका माना जाता है। इस साल की हज यात्रा आज 4 जून...

नेशनल डेस्क। इस्लाम धर्म में हर मुसलमान के लिए जीवन में कम से कम एक बार हज करना अनिवार्य माना गया है बशर्ते वह शारीरिक और वित्तीय रूप से सक्षम हो। इसे अल्लाह के करीब जाने और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होने का एक बड़ा मौका माना जाता है। इस साल की हज यात्रा आज 4 जून से शुरू हो रही है। हज के साथ ही उमराह का भी जिक्र है जो एक छोटी तीर्थयात्रा है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम महिलाएं पवित्र काबा के चक्कर लगाने से पहले अपने बाल क्यों कटवाती हैं? आइए समझते हैं इस अहम रस्म और हज-उमराह के जुड़े कुछ ज़रूरी नियमों को।


हज और उमराह के तीन प्रमुख स्तंभ

हर साल दुनिया भर से लाखों मुस्लिम हज करने के लिए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का पहुंचते हैं। वहाँ वे पवित्र काबा के चक्कर लगाते हैं। हज या उमराह के दौरान मुस्लिम काबा के सात चक्कर लगाते हैं जिसे तवाफ कहा जाता है। तवाफ काबा के एक कोने पर लगे काले रंग के पत्थर ‘हिज्र ए असवद’ से शुरू होता है।

उमराह और हज के दौरान मुख्य रूप से तीन चीजें जरूरी होती हैं:

  1. इहराम (Ihram): यह वह अवस्था है जिसमें तीर्थयात्रियों को सफेद रंग की बिना सिली हुई पोशाक पहननी होती है। पुरुषों के लिए इसमें दो सफेद चादरें होती हैं जिन्हें शरीर पर लपेटा जाता है।
  2. तवाफ (Tawaf): इसमें मुस्लिमों को दाहिने पैर से काबा में प्रवेश करना होता है और उसके चारों ओर सात बार चक्कर लगाने होते हैं।
  3. सई (Sa'i): इस दौरान मुसलमानों को मक्का में सफा और मारवा की पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाने होते हैं। इन तीनों रस्मों के बाद हल्क या तकसीर की जाती है।

मुस्लिम महिलाएं क्यों कटवाती हैं बाल?

हल्क (Halq) में मुसलमानों को अपना पूरा सिर मुंडवाना होता है। हालाँकि महिलाओं के लिए सिर मुंडवाने की आवश्यकता नहीं होती है। वे अपने बालों को एक उंगली की लंबाई के बराबर काट सकती हैं यानी लगभग एक इंच बाल काटना अनिवार्य होता है।

कहा जाता है कि यह रस्म बहुत ज़रूरी होती है और इसके बिना हज मुकम्मल नहीं माना जाता है। बाल मुंडवाने या काटने के बाद तमाम हाजी काबा के चारों ओर एकत्रित होते हैं और उसकी परिक्रमा करते हैं। यह रस्म अल्लाह के प्रति समर्पण और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है जहाँ तीर्थयात्री अपने सांसारिक जुड़ावों को छोड़कर पूरी तरह से अल्लाह की राह पर चलने का संकल्प लेते हैं।

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