दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों की लिस्ट जारी, भारत की रैंकिंग में हुआ बड़ा बदलाव

Edited By Updated: 12 Feb, 2025 09:36 AM

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2024 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक जारी किया, जिसमें भारत की रैंक 96वीं है, जो 2023 से 3 स्थान नीचे है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान (135) और श्रीलंका (121) की स्थिति भी खराब है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में भ्रष्टाचार एक...

नेशनल डेस्क: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने मंगलवार को 2024 का भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) जारी किया है, जिसमें दुनिया भर के 180 देशों और क्षेत्रों को उनके पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार के स्तर के आधार पर रैंक किया गया है। यह रिपोर्ट देशों को 0 से लेकर 100 अंक के बीच रैंक करती है। 0 अंक वाले देश सबसे भ्रष्ट माने जाते हैं, जबकि 100 अंक वाले देश को पूरी तरह पारदर्शी माना जाता है। 

जानिए क्या है भारत की रैंकिंग
2024 में भारत की रैंकिंग 96वें स्थान पर रही, जो कि 2023 की तुलना में तीन स्थान नीचे है। भारत को इस साल 100 में से 38 अंक मिले हैं, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 39 था। 2022 में भारत को 40 अंक मिले थे, जिसका मतलब है कि भारत में पिछले कुछ वर्षों में भ्रष्टाचार के स्तर में मामूली वृद्धि देखने को मिली है। 2024 की इस रैंकिंग में भारत का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर हुआ है, और यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार की समस्या देश में अभी भी गंभीर बनी हुई है।

कैसी है पड़ोसी देशों की स्थिति
भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति भी निराशाजनक है। पाकिस्तान की रैंक 135वीं है, जो कि बेहद खराब स्थिति को दर्शाता है। श्रीलंका 121वें स्थान पर है, जो राजनीतिक और आर्थिक संकटों के कारण भ्रष्टाचार के उच्च स्तर को दर्शाता है। वहीं, बांग्लादेश की रैंकिंग और भी निचे है, जो 149वीं है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि दक्षिण एशिया के देशों में भ्रष्टाचार की समस्या बहुत गंभीर है। 

जानिए चीन की स्थिति
चीन को इस साल CPI में 76वां स्थान मिला है, जो कि कुछ हद तक बेहतर है, लेकिन फिर भी यह देश भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। चीन में भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन फिर भी यह समस्या पूरी तरह से हल नहीं हो पाई है। 

भ्रष्टाचार एक बड़ी वैश्विक चुनौती 
2024 के CPI में यह देखा गया कि भ्रष्टाचार की समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, दो तिहाई से ज्यादा देशों को 100 में से 50 से कम अंक मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार एक बड़ी वैश्विक चुनौती बन गई है। वैश्विक औसत भी 43 अंक पर स्थिर है, जो पिछले कई वर्षों से बना हुआ है। इस स्थिति का असर दुनिया के करोड़ों लोगों पर पड़ रहा है, क्योंकि भ्रष्टाचार मानव अधिकारों को कमजोर कर रहा है और विकास को प्रभावित कर रहा है।

सुधार की दिशा में बदलाव
हालांकि, 2012 के बाद से 32 देशों ने भ्रष्टाचार के स्तर में महत्वपूर्ण सुधार किया है। यह बदलाव दर्शाता है कि कुछ देशों में भ्रष्टाचार पर काबू पाने की दिशा में काम हो रहा है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 148 देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति या तो स्थिर रही है या और बिगड़ी है। 

वैश्विक तापमान वृद्धि और पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा
रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यान दिया गया है, और वह है वैश्विक हीटिंग। दुनिया भर में भ्रष्टाचार के कारण देशों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने और पर्यावरणीय संकटों से निपटने के लिए जरूरी कदमों को अमल में नहीं लाया जा रहा है। यह स्थिति वैश्विक तापमान वृद्धि और पर्यावरणीय असंतुलन को बढ़ावा दे रही है, जो कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है।

सबसे खराब स्थिति वाले देशों में...
2024 की रैंकिंग में डेनमार्क को सबसे अधिक अंक प्राप्त हुए हैं, यानी वह सबसे पारदर्शी देश है। इसके बाद फिनलैंड और सिंगापुर का स्थान है। ये देश भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त उपायों और पारदर्शिता के कारण शीर्ष स्थान पर रहे हैं। वहीं, सबसे खराब स्थिति वाले देशों में सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया शामिल हैं, जिनकी रैंकिंग सबसे नीचे है।

भारत के लिए क्या मायने रखती है यह रैंकिंग?
भारत की रैंकिंग में गिरावट यह दर्शाती है कि देश में भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए अभी और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। सरकारी नीतियों में पारदर्शिता, जवाबदेही और कड़ी निगरानी की आवश्यकता है ताकि लोगों का विश्वास बढ़े और भ्रष्टाचार की समस्या को समाप्त किया जा सके। CPI 2024 की रिपोर्ट यह बताती है कि भ्रष्टाचार एक वैश्विक समस्या बनी हुई है, जो न केवल विकास को प्रभावित कर रही है, बल्कि मानवाधिकारों और पर्यावरणीय संकट को भी बढ़ावा दे रही है। कुछ देशों में सुधार हो रहा है, लेकिन बहुत से देशों को इस दिशा में अभी और कदम उठाने की जरूरत है। भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
 

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