पाकिस्तान में हिंदू परिवार के 20 लोगों की हुई मौत लेकिन 3 महीने बच्ची बची, जानें पूरा मामला

Edited By Updated: 07 Jul, 2025 02:50 PM

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पाकिस्तान के कराची शहर में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। ल्यारी इलाके में स्थित एक पांच मंजिला इमारत अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे में 27 लोगों की जान चली गई, जिनमें से 20 एक ही हिंदू परिवार के सदस्य थे।

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के कराची शहर में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। ल्यारी इलाके में स्थित एक पांच मंजिला इमारत अचानक भरभराकर गिर गई। इस हादसे में 27 लोगों की जान चली गई, जिनमें से 20 एक ही हिंदू परिवार के सदस्य थे। लेकिन इस दुखद हादसे में एक चमत्कार भी हुआ—तीन महीने की एक मासूम बच्ची मलबे से जिंदा निकली, और वह भी लगभग सुरक्षित। यह घटना जितनी दर्दनाक है उतनी ही आश्चर्यजनक भी। बच्ची की जिंदगी बचना उन सभी के लिए एक आशा की किरण बनकर सामने आया है जो अपनों को इस हादसे में खो चुके हैं।

हादसा कैसे हुआ? क्या थी इमारत की हालत?

यह इमारत कराची के ल्यारी इलाके में स्थित थी। रिपोर्ट के अनुसार इमारत काफी जर्जर थी और पहले से ही गिरने की कगार पर थी। सिंध सरकार ने बताया कि ल्यारी में ऐसी कुल 22 जर्जर इमारतें हैं, जिनमें से 14 को खाली कराया जा चुका है। जिस इमारत में यह हादसा हुआ वह भी इन्हीं खतरनाक इमारतों में से एक थी। माना जा रहा है कि उसकी नींव कमजोर हो चुकी थी और समय रहते कार्रवाई न होने की वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक इसकी विस्तृत जांच जारी है और किसी भी अधिकारी की ओर से लापरवाही की जिम्मेदारी नहीं ली गई है।

27 में से 20 लोग एक ही हिंदू परिवार से

इस हादसे की सबसे दुखद बात यह रही कि जिन 27 लोगों की जान गई, उनमें से 20 लोग एक ही हिंदू परिवार के थे। वे सभी आपस में रिश्तेदार थे और उसी इमारत में रहते थे। इस एक हादसे ने पूरे परिवार को उजाड़ दिया, जिससे इलाके में शोक की लहर फैल गई है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये परिवार काफी समय से उस इमारत में रह रहा था और उन्हें शायद यह उम्मीद भी नहीं थी कि एक दिन उनका आशियाना उनकी कब्रगाह बन जाएगा।

कैसे बच गई तीन महीने की मासूम बच्ची?

बचाव अभियान में शामिल मजहर अली नाम के एक रेस्क्यू वर्कर ने बताया कि जब वे घटनास्थल पर पहुंचे, तो मलबे के नीचे संभावित जीवित लोगों की तलाश शुरू की। उसी दौरान उन्हें मलबे के एक कोने में तीन महीने की एक बच्ची जिंदा मिली। बच्ची के शरीर पर धूल-मिट्टी जरूर लगी थी और उसकी नाक से मामूली खून निकल रहा था, लेकिन उसके शरीर पर कोई गंभीर घाव नहीं था। यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। मजहर अली ने कहा कि हो सकता है, बच्ची की मां ने मलबा गिरते वक्त उसे अपनी गोद से दूर फेंक दिया हो जिससे वह मलबे के भारी हिस्से से बच गई। बच्ची की मां और बाकी परिवार के शव कुछ ही दूरी पर पाए गए।

राहत कार्य में लगे 53 घंटे, लेकिन दर्द गहरा

इस घटना के बाद राहत और बचाव कार्य करीब 53 घंटे चला। रेस्क्यू टीमों ने लगातार मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश की, लेकिन अधिकांश लोग तब तक दम तोड़ चुके थे। हालांकि इस दौरान बच्ची का सुरक्षित बाहर आना सभी के लिए एक भावनात्मक क्षण बन गया। यह न केवल बचाव दल की मेहनत को दर्शाता है बल्कि यह भी दिखाता है कि जीवन और मौत के बीच की लड़ाई में कभी-कभी चमत्कार भी होते हैं।

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