Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Apr, 2025 08:40 PM
जब हम अंतरिक्ष यात्रा की बात करते हैं तो जहन में उभरते हैं हाईटेक सूट्स और तैरते हुए एस्ट्रोनॉट्स। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एस्ट्रोनॉट्स वहां पेशाब कैसे करते हैं? ज़मीन पर तो यह एक सामान्य प्रक्रिया है...
इंटरनेशनल डेस्क: जब हम अंतरिक्ष यात्रा की बात करते हैं तो जहन में उभरते हैं हाईटेक सूट्स और तैरते हुए एस्ट्रोनॉट्स। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एस्ट्रोनॉट्स वहां पेशाब कैसे करते हैं? ज़मीन पर तो यह एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन स्पेस में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, जिससे यह बेहद जटिल हो जाती है। NASA के एक पूर्व एस्ट्रोनॉट रस्टी श्वाइकार्ट (Rusty Schweickart) ने अपने इंटरव्यू में खुलासा किया था कि पुराने समय में अंतरिक्ष में पेशाब करने के लिए कंडोम जैसी दिखने वाली डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता था। यह डिवाइस पिनस पर चढ़ाई जाती थी और एक ट्यूब के जरिए पेशाब को स्टोर करने वाले सिस्टम से जोड़ा जाता था।यह सिस्टम माइक्रोग्रैविटी में मूत्र को एकत्र करने में मदद करता था ताकि वह स्पेसशिप में इधर-उधर न तैरे।
NASA को क्यों बदलनी पड़ी व्यवस्था?
इस कंडोम सिस्टम में एक बड़ी दिक्कत सामने आई – यह सभी एस्ट्रोनॉट्स को फिट नहीं आता था। चूंकि सभी पुरुषों की शारीरिक बनावट एक जैसी नहीं होती, इसलिए कई बार यह लीक कर जाता था या असुविधाजनक साबित होता था। इसके बाद NASA को यह समझ आया कि एक साइज सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने एस्ट्रोनॉट्स के लिए तीन साइज के विकल्प बनाए – छोटा, मीडियम और बड़ा।
एस्ट्रोनॉट्स क्यों चुनते थे 'बड़ा साइज'?
Rusty Schweickart ने मजाकिया अंदाज़ में बताया कि जब भी एस्ट्रोनॉट्स को साइज चुनने का विकल्प मिलता तो वे हमेशा ‘बड़ा’ साइज ही चुनते थे। इसका कारण वैज्ञानिक से ज्यादा 'पुरुष अहं' से जुड़ा था। नतीजा यह हुआ कि बाद में NASA ने साइज के नाम ही बदल दिए – छोटा को 'लार्ज', मीडियम को 'एक्स्ट्रा लार्ज' और बड़ा को 'हीरो' नाम दिया ताकि किसी को शर्मिंदगी महसूस न हो।
अब सिस्टम और भी एडवांस हो गया है
आज के मॉडर्न मिशनों में ऐसी डिवाइसेज और यूनिसेक्स सूट इस्तेमाल होते हैं जो पुरुष और महिला दोनों एस्ट्रोनॉट्स के लिए काम करते हैं। फिर भी Rusty Schweickart की यह जानकारी स्पेस मिशनों के शुरुआती दिनों की चुनौतियों को दर्शाती है और यह भी बताती है कि अंतरिक्ष में हर छोटी चीज भी बड़ी प्लानिंग मांगती है।