Edited By ,Updated: 10 Jun, 2016 11:03 AM
एक छोटा-सा लड़का स्कूल से घर आ रहा था। रास्ते में कुछ डाकू उसको मिल गए। डाकुओं ने कहा, ‘‘जो भी तुम्हारे पास है हमको दे दो।’’
उस बालक
एक छोटा-सा लड़का स्कूल से घर आ रहा था। रास्ते में कुछ डाकू उसको मिल गए। डाकुओं ने कहा, ‘‘जो भी तुम्हारे पास है हमको दे दो।’’
उस बालक के पास कुछ भी नहीं था। वह डाकुओं से बोला, ‘‘मेरे पास तो कुछ भी नहीं है। सिर्फ पहने हुए कपड़े और बुक्स हैं।’’
डाकुओं ने कहा, ‘‘बुक्स तो हमारे काम की नहीं फिर भी इनको हमें दे दो, इनको बेचकर हमें कुछ तो मिलेगा।’’
डाकुओं ने उस बालक से बुक्स छीन लीं। बेचारा बालक मुंह लटकाकर चल दिया। जब वह कुछ दूर चला गया तो उसको याद आया कि बुक्स उनके भी किसी काम की नहीं हैं। चलो मैं दोबारा मांग कर देख लूं। शायद वे दे ही दें।
बालक दौड़ता हुआ उनके पास जा पहुंचा और बोला, ‘‘ये बुक्स आप लोगों के किसी काम की नहीं हैं, कृपया इन्हें मुझको दे दो।’’
इस बात को सुनकर वे लोग जोर-जोर से हंसने लगे। एक डाकू बोला कि अगर हम न देंतो? बालक ने कहा, ‘‘तो मैं सबक याद नहीं कर पाऊंगा।’’
वेलोग फिर जोर-जोर से हंसने लगे और बोले, ‘‘कुछ चीजें सुनकर भी याद की जा सकती हैं मगर तुम कुछ नहीं कर सकते।’’
उसके बाद उन लोगों ने उसकी बुक्स वापस कर दीं लेकिन बालक को डाकुओं की बात दिल में चुभ रही थी और उसने उसी दिन से ठान लिया कि बुक्स रटने से कुछ नहीं होता। वह हर चीज अपनी जुबान पर याद रखने लगा। आगे चलकर यही बालक वैज्ञानिक इमाम-अल-गजाली के नाम से प्रसिद्ध हुआ।