Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 May, 2025 10:44 AM

लगातार तीन महीनों की गिरावट के बाद अप्रैल 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश का रुझान सुधरता नजर आया। म्यूचुअल फंडों की कुल इक्विटी खरीद अप्रैल में ₹16,050 करोड़ रही, जो मार्च के ₹12,141 करोड़ से करीब 32% अधिक है। हालांकि, यह अब भी चालू वित्त...
बिजनेस डेस्कः लगातार तीन महीनों की गिरावट के बाद अप्रैल 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंडों में निवेश का रुझान सुधरता नजर आया। म्यूचुअल फंडों की कुल इक्विटी खरीद अप्रैल में ₹16,050 करोड़ रही, जो मार्च के ₹12,141 करोड़ से करीब 32% अधिक है। हालांकि, यह अब भी चालू वित्त वर्ष की औसत मासिक खरीद ₹39,000 करोड़ से काफी नीचे है।
यह सुधार ऐसे समय में हुआ जब अप्रैल में निफ्टी-50 इंडेक्स में 3.5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि मार्च में यह बढ़त 6.3% थी। बाजार में यह तेजी दो साल बाद विदेशी निवेशकों की वापसी का परिणाम मानी जा रही है। फिलहाल, निफ्टी-50 और सेंसेक्स अपने सितंबर 2024 के रिकॉर्ड स्तर से करीब 7% नीचे हैं, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक 10% से अधिक पिछड़ चुके हैं।
जनवरी से फंड हाउसों का इक्विटी निवेश कमजोर रहा है। मार्च में सक्रिय इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश गिरकर 25,082 करोड़ रुपए रह गया, जबकि दिसंबर 2024 में यह 41,156 करोड़ रुपए था। यह गिरावट नई योजनाओं की पेशकश और एकमुश्त निवेश में आई सुस्ती के कारण हुई है।
इस बीच, एसआईपी निवेश स्थिर बना हुआ है। हाल के महीनों में निवेशकों ने प्रतिमाह लगभग 26,000 करोड़ रुपए एसआईपी के जरिये लगाए हैं, जो दिसंबर 2024 के रिकॉर्ड 26,459 करोड़ रुपए के करीब है।
उधर, वैश्विक ब्रोकरेज फर्म यूबीएस ने भारतीय शेयरों की रेटिंग को 'तटस्थ' में अपग्रेड किया है। यूबीएस के मुताबिक भारत को मजबूत आय, तेल कीमतों में गिरावट, और सरकारी उपभोग प्रोत्साहन जैसे कई सकारात्मक कारकों का समर्थन मिल रहा है। हालांकि, ऊंचे वैल्यूएशन और नीतिगत अनिश्चितताओं के चलते फंडामेंटल जोखिम अभी भी बने हुए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बाजार में यह सुधार जारी रहा और फंडों का प्रदर्शन सुधरा, तो इक्विटी निवेश में आने वाले महीनों में और तेजी देखी जा सकती है।