Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Nov, 2025 01:21 PM

भारत सरकार बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार छोटे सरकारी बैंकों का विलय बड़े सरकारी बैंकों में करने की योजना पर काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल...
बिजनेस डेस्कः भारत सरकार बैंकिंग सेक्टर में बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार छोटे सरकारी बैंकों का विलय बड़े सरकारी बैंकों में करने की योजना पर काम कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन ओवरसीज बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को क्रमशः देश के प्रमुख सरकारी बैंकों स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में मर्ज किया जा सकता है।
ग्राहकों पर क्या होगा असर
बैंकों के इस मर्जर के बाद ग्राहकों को अपने खातों से जुड़े दस्तावेज़, पासबुक, चेकबुक और एटीएम कार्ड आदि नए बैंक के अनुसार अपडेट कराने होंगे। हालांकि, ऐसी स्थिति में बैंक ग्राहकों को सुविधा देने के लिए विशेष व्यवस्था भी करते हैं ताकि उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
सरकार की योजना क्या है
छोटे सरकारी बैंकों के बढ़ते परिचालन खर्च और एनपीए (NPA) के दबाव को देखते हुए केंद्र सरकार बैंकिंग ढांचे को और मजबूत बनाना चाहती है। सरकार का मानना है कि इस मर्जर से—
- बैंकों की पूंजी स्थिति (बैलेंस शीट) मजबूत होगी
- कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी
- संचालन अधिक कुशल व प्रतिस्पर्धी बनेगा।
सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर "रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन" तैयार किया जा चुका है और अब इसे कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने पर वित्त वर्ष 2026–27 तक यह मेगा मर्जर पूरा किया जा सकता है।
पहले भी हो चुका है बड़ा मर्जर
2017 से 2020 के बीच सरकार ने 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाए थे। अगर मौजूदा योजना सफल होती है, तो देश में केवल चार प्रमुख सरकारी बैंक बचेंगे- SBI, PNB, बैंक ऑफ बड़ौदा और कैनरा बैंक।