Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Oct, 2025 01:13 PM

नोमुरा के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारतीय कंपनियों द्वारा रूस के कच्चे तेल की खरीद में बदलाव को कम अमेरिकी टैरिफ से होने वाले फायदे से अधिकतर संतुलित किया जा सकता है। नोमुरा के अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और औरोदीप नंदी ने कहा कि रूस के तेल से...
बिजनेस डेस्कः नोमुरा के अनुसार, अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारतीय कंपनियों द्वारा रूस के कच्चे तेल की खरीद में बदलाव को कम अमेरिकी टैरिफ से होने वाले फायदे से अधिकतर संतुलित किया जा सकता है। नोमुरा के अर्थशास्त्री सोनल वर्मा और औरोदीप नंदी ने कहा कि रूस के तेल से दूर होने की प्रक्रिया अमेरिका के साथ व्यापार समझौते और टैरिफ में कमी की राह खोल सकती है। उनके अनुमान के अनुसार, रूसी तेल पर 25% दंडात्मक शुल्क नवंबर के बाद हटा दिया जाएगा, जबकि भारत पर लगाया गया 25% पारस्परिक टैरिफ मार्च 2026 तक बरकरार रहेगा।
नोमुरा के अनुसार, रूस से 650 मिलियन बैरल तेल आयात पर मिलने वाली डिस्काउंट लगभग $1.8–2.2 प्रति बैरल है। इससे आयात बिल पर अतिरिक्त प्रभाव सालाना लगभग $1.5 अरब या GDP का 0.04% होगा। विशेषज्ञों ने चेताया कि भारत यदि रूस से आयात में कमी को अन्य देशों से पूरा करने का प्रयास करेगा, तो वैश्विक तेल कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे आयात बिल में और इजाफा होगा।
भारतीय रिफाइनरियां, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), रूस के Rosneft और Lukoil से तेल के आयात को काफी हद तक घटा देंगी। ये दोनों कंपनियां भारतीय रिफाइनरियों के रूस से आयात का लगभग 60% हिस्सा देती हैं। RIL को अपने लंबे समय के समझौते के तहत रोजाना लगभग 5 लाख बैरल क्रूड आयात रोकना होगा, जिससे रूस से कुल आयात में आधा हिस्सा प्रभावित होगा। ICRA के प्रशांत वशिष्ठ ने कहा कि बाजार मूल्य वाले तेल से स्थानापन्न करने पर आयात बिल में सालाना लगभग 2% की वृद्धि होगी। नवंबर 21, 2025 के बाद प्रतिबंध लागू होने के बाद आयात मात्रा में तेज गिरावट आने की उम्मीद है।
Crisil Intelligence के प्रणव मास्टर ने कहा कि तेल की कीमतों पर नजदीकी से मध्यम अवधि का प्रभाव प्रतिबंध की अवधि, इसके लागू होने और OPEC की आपूर्ति बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा। शेयर बाजार में तेल कंपनियों के शेयर मामूली बदलाव के साथ बंद हुए। RIL 1,451.45 रुपए पर 0.23% ऊपर, जबकि BPCL 0.33% गिरा, HPCL 0.44% कम और IOCL 0.17% बढ़ा।