SEBI में बड़ा बदलाव! टॉप अधिकारियों और बोर्ड सदस्यों पर लागू होंगे नए नियम, जानें क्या?

Edited By Updated: 13 Nov, 2025 12:36 PM

major change in sebi new rules will apply to top officials and board members

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपने शीर्ष अधिकारियों और बोर्ड सदस्यों के लिए हितों के टकराव (Conflict of Interest) और खुलासों (Disclosures) से संबंधित नियमों में बड़े बदलाव करने जा रहा है। सेबी की उच्च स्तरीय समिति ने इस दिशा में कई...

बिजनेस डेस्कः भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अपने शीर्ष अधिकारियों और बोर्ड सदस्यों के लिए हितों के टकराव (Conflict of Interest) और खुलासों (Disclosures) से संबंधित नियमों में बड़े बदलाव करने जा रहा है। सेबी की उच्च स्तरीय समिति ने इस दिशा में कई सिफारिशें की हैं, जिनका उद्देश्य संस्थान में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत बनाना है।

चार चरणों में देनी होगी जानकारी 

समिति ने सुझाव दिया है कि सेबी के सभी निदेशक मंडल सदस्यों और अधिकारियों को अपनी परिसंपत्तियों, देनदारियों, ट्रेडिंग गतिविधियों और संबंधित पक्षों के साथ संबंधों की जानकारी चार चरणों में देनी होगी, नियुक्ति के समय, हर साल, किसी बड़ी घटना के दौरान और पद छोड़ते समय।

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आवेदकों को भी बताने होंगे हितों के टकराव

इसके अलावा बोर्ड और वरिष्ठ पदों के आवेदकों को भी किसी भी वास्तविक या संभावित हितों के टकराव का खुलासा करना होगा, चाहे वह वित्तीय हो या गैर-वित्तीय। समिति ने 'परिवार' की परिभाषा को भी व्यापक बनाने की सिफारिश की है, जिसमें अब पति/पत्नी, आश्रित बच्चे, अभिभावकत्व वाले व्यक्ति और आर्थिक रूप से निर्भर रिश्तेदार शामिल होंगे।

यह समिति पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अध्यक्षता में बनी थी, जबकि इंजेती श्रीनिवास (पूर्व सचिव, कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय) इसके उपाध्यक्ष थे। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने मार्च 2025 में पहली बोर्ड बैठक में इसका गठन किया था। यह कदम उस समय उठाया गया था जब बंद हो चुकी हिंडनबर्ग रिसर्च ने पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के आरोप लगाए थे।

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निवेश पर 25% सीमा तय

सिन्हा समिति ने सिफारिश की है कि सेबी चेयरपर्सन, पूर्णकालिक सदस्य और महाप्रबंधक स्तर से ऊपर के अधिकारियों की संपत्ति और देनदारियों का सार्वजनिक खुलासा किया जाए। हालांकि अंशकालिक सदस्यों को इससे छूट दी जा सकती है। समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा कि सेबी शीर्ष अधिकारी अपने निवेश केवल नियामित और पेशेवर रूप से प्रबंधित पूल्ड योजनाओं में ही करें, और यह निवेश उनके व्यक्तिगत पोर्टफोलियो के 25% से अधिक न हो। यह नियम उनके जीवनसाथी और आर्थिक रूप से आश्रित रिश्तेदारों पर भी लागू होगा।

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गोपनीय जानकारी पर ट्रेडिंग पर सख्त रोक

साथ ही सेबी अधिकारियों द्वारा गोपनीय जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग करने पर कड़ी रोक होगी। समिति ने यह भी सिफारिश की कि आधिकारिक लेनदेन से जुड़े किसी भी प्रकार के उपहार स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाया जाए। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सेबी नैतिकता एवं अनुपालन कार्यालय (Ethics and Compliance Office) की स्थापना करे, जिसका नेतृत्व मुख्य नैतिकता अधिकारी करेंगे। साथ ही, एक समर्पित निरीक्षण समिति (Oversight Committee) का गठन किया जाए और हर साल वरिष्ठ अधिकारियों के पदत्याग का सारांश सार्वजनिक किया जाए।
 

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