Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jun, 2025 01:18 PM

गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए अब दुबई के बैंकों से 1 अरब डॉलर (लगभग ₹8,600 करोड़) का नया कर्ज लिया है। यह फंड ‘सिंडिकेटेड टर्म फाइनेंस’ के तहत पांच साल की अवधि के लिए लिया गया है, जिसे कई बैंकों ने...
बिजनेस डेस्कः गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपने जरूरी खर्चों को पूरा करने के लिए अब दुबई के बैंकों से 1 अरब डॉलर (लगभग ₹8,600 करोड़) का नया कर्ज लिया है। यह फंड ‘सिंडिकेटेड टर्म फाइनेंस’ के तहत पांच साल की अवधि के लिए लिया गया है, जिसे कई बैंकों ने मिलकर फाइनेंस किया है।
कौन-कौन से बैंक बने कर्जदाता?
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, इस कर्ज व्यवस्था में शामिल प्रमुख बैंक हैं:
- दुबई इस्लामिक बैंक (एकमात्र वैश्विक समन्वयक)
- स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (लीड अरेंजर)
- अबू धाबी इस्लामिक बैंक
- शारजाह इस्लामिक बैंक
- अजमान बैंक
- एचबीएल (हबीब बैंक लिमिटेड)
ये सभी बैंक मिलकर पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का लोन दे रहे हैं, जिसे पांच वर्षों में चुकाना होगा।
एडीबी की गारंटी से मिला भरोसा
यह फंडिंग एशियाई विकास बैंक (ADB) द्वारा आंशिक रूप से गारंटीशुदा है। एडीबी के 'उन्नत संसाधन संग्रहण एवं उपयोग सुधार' कार्यक्रम के अंतर्गत दी गई यह गारंटी पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर फाइनेंसरों का भरोसा दिलाने में मदद कर रही है।
वित्तीय स्थिति में सुधार का दावा
वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह डील पश्चिम एशियाई वित्तीय बाजार में पाकिस्तान की करीब ढाई साल बाद वापसी है। इससे क्षेत्रीय बैंकों के साथ नई साझेदारी की शुरुआत भी हुई है। पाकिस्तान के आर्थिक सलाहकार खुर्रम शहजाद ने इसे "ऐतिहासिक वित्तीय उपलब्धि" बताया है।
दिवालिया होने की कगार से वापसी
गौरतलब है कि 2023-24 में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मदद से दिवालिया होने से बचा था। हाल के महीनों में देश ने चालू खाता अधिशेष और खर्च नियंत्रण जैसे संकेतकों में कुछ सुधार दिखाया है। अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान का चालू खाता अधिशेष 1.8 अरब डॉलर रहा।