अमेरिका को भारत का करारा जवाब, ट्रंप के टैरिफ पर चीन का भी तीखा पलटवार, अब बदलेगा समीकरण

Edited By Updated: 07 Aug, 2025 08:31 AM

india hits back at trump tariff move equations set to shift

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। देशहित में कड़े कदम उठाने की चेतावनी...

नेशनल डेस्क: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले सामान पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। देशहित में कड़े कदम उठाने की चेतावनी देते हुए भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। इस घटनाक्रम में सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब चीन ने भी अमेरिका के खिलाफ भारत का खुलकर समर्थन किया। विदेश मंत्रालय ने भी कहा है कि भारत अपनी संप्रभुता और हितों की रक्षा के लिए पूरी सतर्कता से काम करेगा। अब भारत, चीन और रूस जैसे वैश्विक ताकतों के बीच समीकरण तेजी से बदल रहे हैं  और अमेरिका को इस बार करारा जवाब मिलने जा रहा है।

चीन का भारत के साथ खुला समर्थन

टैरिफ पर अमेरिकी फैसले के खिलाफ चीन ने भी भारत का समर्थन किया है। चीन के दूतावास ने स्पष्ट किया है कि भारत की संप्रभुता और विदेश नीति में कोई समझौता नहीं किया जा सकता। चाहे किसी देश के साथ भारत के संबंध कितने भी अच्छे क्यों न हों, कोई भी देश भारत की नीतियों को तय नहीं कर सकता। चीन का यह समर्थन भारत के लिए एक मजबूत कूटनीतिक सहारा माना जा रहा है।

पीएम मोदी जल्द करेंगे चीन की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। यह मोदी की 2020 के गलवान घाटी झड़प के बाद पहली चीन यात्रा होगी, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया था। इससे पहले पीएम मोदी 2019 में चीन गए थे और 2024 में रूस में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी।

एससीओ में भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीदें

जुलाई में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी तियानजिन में एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने चीन के विदेश मंत्री वांग यी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत की। इसके अलावा जून में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था। भारत ने आतंकवाद से जुड़ी कुछ चिंताओं को लेकर संयुक्त घोषणापत्र का समर्थन करने से इनकार किया था, जिससे कुछ कड़वाहट बनी रही।

रूस की यात्रा पर अजीत डोभाल

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस समय रूस में हैं। उनकी यह यात्रा खास तौर पर रूस के साथ रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने का यह निर्णय रूस से तेल खरीदने के कारण आया है। डोभाल रूस में मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा वे रक्षा उद्योग में सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाशेंगे।

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