Edited By Sarita Thapa,Updated: 01 Sep, 2025 06:02 AM

Best Motivational Story: दक्षिण भारत में एक महान संत हुए तिरुवल्लुवर रहता था। वह अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। एक बार वह नगर में पहुंचे।
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Best Motivational Story: दक्षिण भारत में एक महान संत हुए तिरुवल्लुवर रहता था। वह अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। एक बार वह नगर में पहुंचे। उनके प्रवचन सुनने के पश्चात एक सेठ ने हाथ जोड़कर निराशा का भाव लिए उनसे कहा-गुरुवर, मैंने पाई-पाई जोड़कर अपने इकलौते पुत्र के लिए अथाह संपत्ति एकत्र की है। मगर वह मेरी इस गाढ़े पसीने की कमाई को बड़ी बेदर्दी के साथ बुरे व्यसनों में लुटा रहा है। मैं बहुत उलझन में हूं। पता नहीं, भगवान किस अपराध के कारण मेरे साथ यह अन्याय कर रहा है।

संत ने मुस्कराकर कहा- सेठ जी, तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए कितनी संपत्ति छोड़ी थी? सेठ बोला- वह बहुत ही गरीब थे। उन्होंने मेरे लिए कुछ भी नहीं छोड़ा था। संत ने कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं छोड़ा, इसके बावजूद तुम इतने धनवान हो गए। लेकिन अब तुम इतना धन जमा करने के बावजूद यह समझ रहे हो कि तुम्हारा बेटा तुम्हारे बाद गरीबी में दिन काटेगा? सेठ ने अश्रु भरी आंखों से कहा- आप सच कह रहे हैं। परन्तु मुझसे गलती कहां हुई जो वह बुरी लत में डूबा रहता है।

संत ने कहा- तुम यह समझ कर धन कमाने में लगे रहे कि अपनी संतान के लिए दौलत का अम्बार लगा देना ही एक पिता का कर्तव्य है। इस चक्कर में तुमने अपने बेटे की पढ़ाई और संस्कारों के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। माता-पिता का पुत्र के प्रति प्रथम कर्तव्य यही है कि वे उसे पहली पंक्ति में बैठने योग्य बना दें। बाकी तो सब कुछ अपनी योग्यता के बलबूते पर वह हासिल कर लेगा। संत की वाणी से सेठ की आंखें खुल गईं और उसने सिर्फ धन को महत्व न देकर अपने बेटे को सही रास्ते पर लाने के लिए उसे अच्छे संस्कार देने का निर्णय किया।
