Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Jun, 2019 02:40 PM
प्रकृति की माया विचित्र है, किसी का कोई अंग है ही नहीं तो किसी को अतिरिक्त अंग उपलब्ध हो जाते हैं। कई व्यक्तियों को जन्म से ही एक अंगूठा या सबसे छोटी उंगली के पास एक अतिरिक्त उंगली होती है।
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प्रकृति की माया विचित्र है, किसी का कोई अंग है ही नहीं तो किसी को अतिरिक्त अंग उपलब्ध हो जाते हैं। कई व्यक्तियों को जन्म से ही एक अंगूठा या सबसे छोटी उंगली के पास एक अतिरिक्त उंगली होती है। सामान्य भाषा में सभी उन्हें छंगा (छ: उंगलियों वाला) कहते हैं। अक्सर हमें बहुत से व्यक्तियों के हाथों में छ: उंगलियां देखने को मिल जाती हैं। डाक्टर लोग इन छ: अंगों को जीन्स (वंशगत) के प्रबल स्वगुणात्मक हो जाने का परिणाम मानते हैं। उनके अनुसार ऐसा माता-पिता के अंगों के कारण होता है। लिंग चाहे कोई भी हो, उनके मतानुसार माता या पिता का आनुवांशिक परिणाम, उनकी किसी भी संतान यानी लड़का या लड़की में आ जाता है।
कई लोग इसे माता-देवियों का प्रसाद भी मानते हैं, परंतु आपने देखा होगा कि कइयों के हाथ में छ: उंगलियां होती हैं। कुछ के अंगूठे के साथ छोटा-सा लंबाई-मोटाई में भी कुछ कम, कमजोर-सा या चाबी रैंच के आकार वाला अंगूठा लगा पाया जाता है। कइयों की कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली के बाहर की ओर छोटी-सी उंगली पाई जाती है।
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कुछ हाथ ऐसे भी देखने को मिलते हैं, जिनमें चार के स्थान पर पांच स्वस्थ उंगलियां तथा छठा पूर्ण स्वस्थ अंगूठा पाया जाता है। एक बारगी यानी स्वाभाविक रूप से देखने पर या हाथ मिलाने पर भी पता तक नहीं चलता और ऐसे स्त्री-पुरुषों को कोई असुविधा भी नहीं होती, बल्कि ऐसे लोगों के हाथों में ज्यादा ताकत आ जाती है।
अनुवांशिक व देवी-कृपा के पश्चात हम इनकी हस्त रेखा पर विचार करते हैं। जिनके हाथों में अंगूठे के पास छोटा-सा अंगूठा या रैंच चाबी की आकृति वाला अंगूठा होता है वे शुक्र ग्रह के प्रभाव में रहते हैं। कहने का भाव विपरीत लिंग, सैक्स के प्रति इनका आकर्षण सामान्य व्यक्तियों से कुछ ज्यादा ही होता है। सैक्स में अधिक रुचि के साथ-साथ वे सौंदर्य-प्रेमी, स्त्री-प्रेमी, प्रकृति जल-पर्वत, समुद्र-प्रेमी, अत्यधिक कामातुर प्रकृति के होते हैं। स्त्रियां भी पुरुष-समागम की ज्यादा इच्छुक होती हैं।
छठा अंगूठा यानी अतिरिक्त अंगूठा जितना पुष्ट होगा, उतना ही शुक्र जन्य उपरोक्त गुण उनमें अधिक पाएगा। रैंच चाबी वाला अंगूठा, अधिक शुक्र (सैक्स) गुण का द्योतक है। अगर अतिरिक्त अंगूठा आकार में छोटा-कमजोर तथा अंगूठे की जड़ (मूल) के पास या आगे बढ़कर अंगूठे पर चढ़ता-सा दिखाई दे तो उसमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण या सैक्स अधिक तो होगा परंतु चाबी वाले अंगूठे से काफी कम होगा।
यदि कनिष्ठा (बुध) की सबसे छोटी उंगली के साथ छोटी-सी छठी अतिरिक्त उंगली पाई जाए तो ऐसे व्यक्तियों पर ‘बुध-ग्रह’ का प्रभाव अधिक पाया जाएगा। ऐसा व्यक्ति व्यापारिक वृत्ति, हिसाब-किताब करने वाला व हानि-लाभ का विचार करके ही काम करने वाला होगा। यहां भी इस अतिरिक्त उंगली की पुष्टता व आकार से ही बुध-ग्रह का प्रभाव आंका जाएगा।
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आइए, अब हम पूर्ण व स्वस्थ छ: उंगलियों पर विचार करें। किसी हाथ के अंगूठे के अतिरिक्त पांच पुष्ट व पूर्ण उंगली ‘बुध-ग्रह’ की, अनामिका सूर्य की, मध्यमा शनि की, तर्जनी गुरु बृहस्पति की मानी जाती है परंतु पांच पूर्ण विकसित होने पर भी, अंगूठे के पास वाली उंगली को तर्जनी या गुरु की ही माना जाएगा तथा सबसे अंतिम व छोटी उंगली कनिष्ठा यानी बुध की ही मानी जाएगी। अब बुध से अगली अनामिका या सूर्य की तथा तर्जनी से अगली उंगली मध्यमा यानी शनि की उंगली मानी जाएगी।
शेष बची उंगली के प्रथम पर्व (पोर) पर वैसा ही चिन्ह यानी शंख, द्वीप व चक्र आदि पाया जाएगा, जैसा कि साथ वाली सूर्य की उंगली या शनि की उंगली पर होगा यानी इस अतिरिक्त उंगली के प्रथम पोर पर या तो सूर्य की उंगली के चिन्ह में समानता पाई जाएगी या शनि की उंगली के चिन्ह की।
विचार करने के पश्चात पता चला कि चिन्ह पहचान के बाद ही, इसे सूर्य की शक्तिदायक उंगली माना जाएगा या शनि की अतिरिक्त शक्तिदायक उंगली मानें। एक अन्य विचार से भी, इस अतिरिक्त उंगली को शनि या सूर्य की उंगली माना जा सकता है।
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आपने देखा होगा कि तर्जनी के बाद की दोनों उंगलियां समान ऊंचाई की हैं। प्रथम पर्वों पर दोनों में ही, शंख के चिन्ह हैं। अत: ये दोनों शनि की ही उंगलियां मानी जाएंगी। कनिष्ठा से आगे दोनों उंगलियों की लंबाई एक समान है तथा दोनों के प्रथम पादों पर चक्र के निशान हैं। अत: दोनों उंगलियां सूर्य की मानी जाएंगी। इन्हें दुतरफा शक्ति वाला ग्रह यानी डबल शनि या डबल सूर्य कहा जा सकता है। तीसरे विचार से देखें तो यदि यह अतिरिक्त उंगली सूर्य की मानी गई तो असली अनामिका का मूल पर्वत भी कुछ न कुछ खिसक कर इस अतिरिक्त उंगली पर आ जाएगा और सूर्य के प्रभाव को दुतरफा करेगा।
इसी प्रकार अगर यह उंगली मध्यमा यानी शनि की मानी गई तो शनि का मूल पर्वत खिसक कर इस पर आ जाएगा और शनि के अच्छे या बुरे प्रभाव को दोगुना कर देगा। सूर्य पुष्ट व द्विगुणित हुआ तो इस उंगली वाला व्यक्ति मेहनती व नाम कमाने वाला होगा। सूर्य कमजोर हुआ तो सभी गुण होते हुए भी, यश-मान न कमाने वाला असफल व्यक्ति होगा। यही विचार शनि की पुष्टता व कमजोरी से देखा जाएगा। शनि पुष्ट होने पर लोहा मशीनरी से लाभ व सर्विस होगी। अपुष्टता बीमारी, बेकारी, बेरोजगारी ही देगी।
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