Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Sep, 2025 07:00 AM

Inspirational Context: पेशवा माधव राव अपनी दानप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। वह अपने जन्मदिन पर निर्धनों को धन, अन्न, वस्त्र और भूमि का दान किया करते थे। उनसे दान लेने बहुत दूर-दूर से लोग आया करते थे। उनके दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। हर किसी...
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Inspirational Context: पेशवा माधव राव अपनी दानप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे। वह अपने जन्मदिन पर निर्धनों को धन, अन्न, वस्त्र और भूमि का दान किया करते थे। उनसे दान लेने बहुत दूर-दूर से लोग आया करते थे। उनके दरवाजे से कोई खाली हाथ नहीं लौटता था। हर किसी को उसकी मनचाही वस्तु अवश्य प्राप्त होती थी। एक बार उनके जन्मदिन पर एक बालक आया। वह देखने से ही बड़ा प्रतिभाशाली लगता था। उसकी चाल-ढाल और बातचीत में आत्मविश्वास झलक रहा था।
उसने पेशवा को प्रणाम कर कहा- मैं यहां एक विशेष प्रयोजन से आया हूं। मुझे कुछ और नहीं चाहिए। बस मुझे ज्ञान दान चाहिए। यह सुनकर वहां उपस्थित सभी लोग चौंक गए।
उन्हें समझ में नहीं आया कि इसका मतलब क्या है ? आखिर यह बालक चाहता क्या है ?
पेशवा ने मुस्कराकर पूछा- केवल ज्ञान दान क्यों ? कोई वस्तु क्यों नहीं ?
इस पर वह बालक बोला- मैंने देखा है कि जिन्हें दान में धन मिला उनका धन एक दिन समाप्त हो गया। कपड़े भी पुराने हो गए, फट गए। जिन्हें भूमि मिली वह भी निरर्थक हो गई। ज्ञान ही वह वस्तु है जो कभी समाप्त नहीं होती। ज्ञान हमेशा स्थिर रहता है। इसके सहारे व्यक्ति कुछ और भी प्राप्त कर सकता है।
मैं अनाथ और निर्धन होने के कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाया। यदि आप मेरी शिक्षा की व्यवस्था करा दें तो मैं आपका आजीवन ऋणी रहूंगा।
उसकी बात सुनकर पेशवा बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने उसके अध्ययन की व्यवस्था करा दी। वह बालक था राम शास्त्री, जो आगे चलकर प्रसिद्ध न्यायाधीश बना।