Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jan, 2023 09:34 PM
ऐसी संतानों के अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के जीवन की संध्या में उनसे मुंह फेर कर भटकने के लिए बेसहारा छोड़ दिया। संतानों के ठुकराए ऐसे ही अनेक बेबस और बेसहारा बुजुर्ग ‘श्री नाभ कंवल राजा साहिब वृद्ध आश्रम, फत्तूआना’
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Motivational Story: ऐसी संतानों के अनेक उदाहरण हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के जीवन की संध्या में उनसे मुंह फेर कर भटकने के लिए बेसहारा छोड़ दिया। संतानों के ठुकराए ऐसे ही अनेक बेबस और बेसहारा बुजुर्ग ‘श्री नाभ कंवल राजा साहिब वृद्ध आश्रम, फत्तूआना’ (शहीद भगत सिंह नगर) में शरण लेकर अपने जीवन के अंतिम दिन बिता रहे हैं।
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इन्हीं में से एक 80 वर्षीय माता ‘सुरिंदर कौर’ ने बताया कि उनके पति बलबीर सिंह की कई वर्ष पहले मौत हो चुकी है और उनकी दो बेटियां ही हैं।
इनमें से छोटी बेटी ने तब तक उन्हें अपने पास रखा, जब तक उनके पास कुछ था, उसके बाद बेटी का व्यवहार अच्छा नहीं रहा और वह उसका घर छोड़ने को विवश हो गईं।
उन्होंने बताया कि वह कई वर्षों से इस आश्रम में रह रही हैं। वह सुबह-शाम आश्रम के गुरुद्वारा साहिब में गुरबाणी का पाठ करती हैं और दिन के समय आश्रम में रहने वाले अपने जैसे लोगों के लिए भोजन बनाने की सेवा करती हैं। आश्रम के मुख्य प्रबंधक बलवंत सिंह व अध्यक्ष दरबजीत सिंह पुनियां ने बताया कि माता ‘सुरिंदर कौर’ अब आश्रम परिवार का हिस्सा बन गई हैं।
इनका कहना है कि बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा से पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि एक दिन सभी को उम्र के इस पड़ाव से होकर गुजरना है और जिस तरह का व्यवहार आज के बच्चे अपने माता-पिता के साथ कर रहे हैं, वैसा ही व्यवहार बुढ़ापे में उनके बच्चे उनके साथ करेंगे।