Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Apr, 2025 12:48 PM

अपनी संस्कृति और अपनी सभ्यता से युवाओं को जोड़ते युवा कथक नर्तक और कोरियोग्राफर आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) आज विश्व नृत्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा आज जरूरत है हर भारतीयों को अपनी संस्कृति को समझने की और अपने बच्चों को सिखाने की।
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International Dance Day: अपनी संस्कृति और अपनी सभ्यता से युवाओं को जोड़ते युवा कथक नर्तक और कोरियोग्राफर आशीष सिंह (नृत्य मंजरी दास) आज विश्व नृत्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा आज जरूरत है हर भारतीयों को अपनी संस्कृति को समझने की और अपने बच्चों को सिखाने की।
आशीष मूलतः वाराणसी के रहने वाले हैं और वर्तमान में वृन्दावन धाम में रहते हुए कथक नृत्य की साधना कर रहे। पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी की शिष्या श्रीमती संगीता सिन्हा जी के शिष्य आशीष सिंह बनारस घराने की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना श्रीमती सरला नारायण सिंह जी को अपना आदर्श मानते वाले हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय से कथक में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है। कथक कार्यशालाओं के माध्यम से भी पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज जी से भी कथक नृत्य की बारीकियां सीखी हैं। अपनी भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक की प्राचीन परंपरा को लोगों और विद्यार्थियों तक पहुंचने के उद्देश्य से आशीष देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर स्कूलों, कॉलेज में जाकर बच्चों को कथक नृत्य की तालीम देते हैं।
आशीष कहते हैं आज नृत्य दिवस पर आवश्यकता है लोगों को अपने भारतीय संस्कृति को जानने और अपने बच्चों को इसके बारे मे बताने की। आज युवा पीढ़ी ज्यादातर बॉलीवुड संगीत की तरफ जा रही, बॉलीवुड संगीत तन को हिला सकता हैं, पर मन को हिलाने कार्य हमारा शास्त्रीय संगीत (गायन वादन,नृत्य) करता है।
अपनी परंपरा को समझना और उसे आत्मसात करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। जिस प्रकार हम अपने हर कार्य को बड़ी कर्मठता से करते हैं उसी कर्मठता से हमे अपने संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए करनी होगी।
आशीष अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से ही " हमारी संस्कृति हमारी धरोहर" के साथ ही कार्य कर रहे हैं। जिसमें, अल्मोड़ा, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल उत्तराखंड आदि शहरों में कार्य कर रहे हैं। जहां बच्चों के साथ साथ महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही और नृत्य कि शिक्षा प्राप्त कर रही।