Pakistan: लाहौर के गुरुद्वारा पहली पातशाही रोरी साहिब की हालत खंडहर जैसी

Edited By Updated: 26 Nov, 2022 08:05 AM

jalandhar news

वाघा से लगभग 1.5 कि.मी. दूर लाहौर में गुरुद्वारा पहली पातशाही रोरी साहिब जाहमान की इमारत की हालत काफी खराब हो गई है और अब वह खंडहर सा प्रतीत होता है।

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जालंधर (विशेष): वाघा से लगभग 1.5 कि.मी. दूर लाहौर में गुरुद्वारा पहली पातशाही रोरी साहिब जाहमान की इमारत की हालत काफी खराब हो गई है और अब वह खंडहर सा प्रतीत होता है। ऐतिहासिक गुरुद्वारा उस स्थान को चिन्हित करता है जहां पहले सिख गुरु गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल के दौरान 3 बार दौरा किया और अपना समय पत्थर के कंकड़ (रो-री) पर बैठकर प्रार्थना करने में बिताया। इसलिए इसका नाम रोरी साहिब पड़ा। 

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गुरुद्वारे का संदर्भ गुरबाणी में भी मिलता है। कभी संरचना को घेरने वाला बड़ा तालाब भी गायब हो गया है और उस जगह का उपयोग अब स्थानीय लोगों द्वारा मवेशियों को बांधने और अतिक्रमणकारियों द्वारा गोबर के उपले बनाने के लिए किया जा रहा है।

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