Chaitra Navratri 2023: शीतला देवी धाम कड़ा में सजा माता का दरबार

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Mar, 2023 03:57 PM

kada dham

देश की 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला देवी धाम कड़ा में नवरात्र के दौरान पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। शीतला देवी धाम कड़ा अनादिकाल से शक्ति उपासको के आस्था का केंद्र रहा है।

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कौशांबी (वार्ता): देश की 51 शक्तिपीठों में शामिल शीतला देवी धाम कड़ा में नवरात्र के दौरान पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। शीतला देवी धाम कड़ा अनादिकाल से शक्ति उपासको के आस्था का केंद्र रहा है। पूरे साल देश भर से श्रद्धालु मां शीतला देवी के दर्शनार्थ कड़ा धाम आते रहते हैं। वर्ष में दो बार नवरात्र के अवसर पर तो यहां जनसैलाब उमड़ पड़ता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। नवरात्र मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही है। वसंत के नवरात्र मेले में देश भर से इस बार पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है।    

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चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि मां शीतला देवी की उद्भव तिथि मानी जाती है इसीलिए देवी अस्थान में सप्तमी और अष्टमी का विशाल मेला लगता है। पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित शीतला देवी धाम शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटा गया शिवप्रिया सती का एक हाथ जिस स्थान पर गिरा था, वही देवी मंदिर की स्थापना कर दी गई। जो स्थान कालांतर में करा था लेकिन बाद में अपभ्रंश होकर कड़ा नाम से प्रसिद्ध हो गया। 

वर्तमान में मां शीतला देवी का मंदिर भव्य रूप धारण कर रहा है। किंवदंती है कि द्वापर युग में अपने वनवास की अवधि में पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने जिस स्थान पर सती का कर (हाथ) गिरा था, एक मंदिर का निर्माण कराया था। जिसे शीतला देवी धाम के नाम से जाना गया। शीतला देवी धाम कड़ा शक्तिपीठ के स्थापना से लेकर ही देवी उपासको का विश्वास है कि मां शीतला देवी के दर्शन व पूजा-अर्चना से न केवल पुण्य फल प्राप्त होता है बल्कि सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिल जाता है। धन, ऐश्श्वर और निरोगी होने के सुख के साथ दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्त होती है। मान्यता है कि नवरात्र के अवसर पर देवी धाम पर बच्चों का मुंडन कराने पर नौनिहाल दीर्घ जीवी व निरोगी होते हैं। इसी मान्यता के चलते देश भर से नवरात्रि के अवसर पर दंपति अपने बच्चों को यहां लाकर मुंडन कराते हैं और देवी मंदिर में पहुंचकर माथा टेकते हैं और दान-दक्षिणा देते हैं। 

देवी मंदिर में मां शीतला की प्रतिमा के पास एक जल कुंड है। जिसे जलहरी कहते हैं। मन्नत पूरी होने पर गंगा जल एवं दूध से जलहरी भरकर मां की कृपा प्राप्त करते हैं। नव दंपत्ति जलहरी भरकर सुखी जीवन जीने की देवी मां से याचना करते हैं। जल हरि के जल की चमत्कारिकता के किस्से अभी भी कड़ा के आसपास गुंजायमान हैं। गिलहरी के जल रोगी के ऊपर छिड़कने से चेचक की बीमारी ठीक हो जाती है। गंभीर बीमारी से लेकर प्रेत बाधाएं भी नियमित जलहरी के जल से रोगी के ऊपर छिड़क कर ठीक किया जाता है। असाध्य रोगों से निजात पाने एवं संतान प्राप्ति हेतु दरिद्रता तथा अनेक महापापों से मुक्ति के लिए श्रद्धालु देवी धाम की परिक्रमा की मान्यता अभी भी जीवंत बनी हुई है। दूरस्थ भागों से आस्थावान लोग लेट -लेट कर कड़ा धाम पहुंचकर मां शीतला मंदिर की परिक्रमा करते हैं दर्शन पूजन और मन्नतें करते हैं। 

देवी दर्शन के लिए आसपास के जिले प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रतापगढ़, चित्रकूट, बांदा हमीरपुर, फतेहपुर, कानपुर, बाराबंकी, लखनऊ आदि जिलों से श्रद्धालु झुंड बनाकर सजा पताका निशान लेकर पैदल देवी गीत गाते हुए ध्वज पताका झंडा एवं निशान देवी मां के गीत गाते हुए जयकारा लगाते हैं। कड़ा धाम पहुंचते और देवी के चरणों में अपनी आस्था का प्रतीक ध्वज पताका चढ़ाकर देवी दर्शन कर मनोवांछित फल की कामना करते हैं। दर्शनार्थी कड़ा धाम पहुंचकर पहले गंगा में डुबकी लगाते हैं। गंगा की पूजा आरती के बाद गंगाजल लेकर देवी मंदिर में पहुंचते हैं।

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