Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Aug, 2022 07:54 AM
आज रविवार दिनांक 14.08.2022 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। ज्योतिषशास्त्र की पंचांग प्रणाली के अनुसार साल का छठा महीना भाद्रपद विष्णु और देवी के कृष्ण आभा लिए अवतारों को समर्पित है। इसी दिन कजरी तीज मनाए जाने का विधान है।
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Kajari Teej 2022: आज रविवार दिनांक 14.08.2022 को भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। ज्योतिषशास्त्र की पंचांग प्रणाली के अनुसार साल का छठा महीना भाद्रपद विष्णु और देवी के कृष्ण आभा लिए अवतारों को समर्पित है। इसी दिन कजरी तीज मनाए जाने का विधान है। आकाश में घुमड़ती काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजरी तीज कहते हैं। शब्द भाद्रपद का अर्थ है जिनके चरण सुंदर हों अर्थात श्रीकृष्ण व देवी श्यामला।
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Why is Kajari Teej celebrated: कजरी तीज पर सुहागने व कुंवारी कन्याएं मां पार्वती के श्यामला स्वरूप का पूजन करती हैं। कजरी तीज पर तीन बातें छोड़ने योग्य मानी जाती हैं पहला पति से छल, दूसरा दुर्व्यवहार व तीसरा परनिंदा। सुहागने कजरी तीज को अपने पीहर अथवा अपने मामा के घर मनाती हैं। इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर सुहागने अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट करती हैं। कजरी तीज पर पैरों में मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है।
लोक मान्यता के अनुसार, इसी दिन पार्वती विरहाग्नि में तपकर काली हो गई थी व इसी दिन उन्होंने काला रंग त्यागकर पुनः शिव से मिलन किया था। इस दिन पीपल, कदंब व बरगद के पत्ते देवी पर चढ़ाएं जाते हैं।
How to celebrate Kajari teej क्या करें इस दिन: शिव-पार्वती और श्रीकृष्ण का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें, विशिष्ट हरिद्रव्य जैसे की पीपल, कदंब व बरगद से हवन करें। इस दिन हर घर में झूला डाला जाता है। सुहागने पति हेतु व कुंवारी कन्याएं अच्छे पति हेतु व्रत रखती हैं। इस दिन गेहूं, जौ, चना व चावल के सत्तू में घी मिलाकर पकवान बनाते हैं। व्रत शाम को चंद्रोदय के बाद खोलते हैं और ये पकवान खाकर ही व्रत खोला जाता है। इस दिन काली गाय की पूजा करके उन्हें आटे की 7 रोटियां बनाकर उस पर गुड़ चना रखकर खिलाई जाती है।
Kajari Teej Importance: कजरी तीज के विशेष पूजा से मानव के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की सहज प्राप्ति होती है। शिव-पार्वती व श्रीकृष्ण की कृपा से आर्थिक साधन सुलभ होते है। सुख-संपत्ति व सौभाग्य की प्राप्ति होती है।