Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jul, 2022 07:57 AM
भारत त्योहारों का देश है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में हर दिन व तिथि का विशेष महत्व होता है। हमारे पूर्वजों ने हमारी सभ्यता का इस प्रकार से निर्माण किया था जिससे कि हम पशु-पक्षियों
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Kokila Vrat 2022: भारत त्योहारों का देश है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में हर दिन व तिथि का विशेष महत्व होता है। हमारे पूर्वजों ने हमारी सभ्यता का इस प्रकार से निर्माण किया था जिससे कि हम पशु-पक्षियों जीव जंतुओं के साथ स्नेह व आदर का भाव रखें। हर व्रत और त्योहार के पीछे वैज्ञानिक तथ्य जुड़े हुए हैं। आषाढ़ मास का महीना कई महत्वपूर्ण त्योहार और तिथियों से परिपूर्ण होता है। इस महीने की पूर्णिमा पर एक विशेष महत्वपूर्ण व्रत आता है, जिसे कोकिला व्रत कहा जाता है। जो कि भगवान शंकर और माता सती के प्रेम को समर्पित है। इस व्रत को करने वाले लोगों को भगवान शंकर और माता सती की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही यह व्रत माता सती के सतीत्व को दर्शाते हुए पति के प्रति प्रेम व निष्ठा को भी बताता है। जब माता सती ने अपने ही पिता के यज्ञ के हवन कुंड में अपने प्राण दे दिए थे। उसके पश्चात 10 हजार वर्ष तक कोकिला रूप में रही। आषाढ़ पूर्णिमा को माता सती के कोयल की विशेष पूजा की जाती है। सुहागन व कुंवारी महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं और सौभाग्यवती होने का वरदान माता सती से प्राप्त करती हैं। इस दिन व्रत और विशेष रूप से कोयल की आकृति की पूजा करने से वैधव्य श्राप से मुक्ति मिलती है और आजीवन जीवन साथी का साथ बना रहता है।
Kokila Vrat Importance: व्रत का प्रारंभ माता सती और भगवान शंकर की पूजा करके करें। इस व्रत को करते समय मिट्टी की कोयल की आकृति घर के पूर्व की दीवार पर बनाकर उसकी पूजा करें। कोयल को माता सती का प्रतिरूप मानकर नैवेद्य चढ़ाएं।
इस व्रत से संबंधित कथा का पाठ अवश्य करें। इसके साथ ही देवी के मंत्रों का उच्चारण अवश्य करें। आज के दिन घर के मुख्य द्वार को गोधन से शुद्ध करें। ऐसा करने पर घर में प्रेम व सोहद्रा बनी रहेगी।
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माता सती को गुलाबी रंग का श्रृंगार चढ़ाएं, इसके साथ-साथ गुलाबी रंग की चूड़ियों का दान करें।
शिव व शक्ति का ध्यान करते हुए व्रत के सारे नियमों का अच्छे से पालन करें। घर में सात्विक व शुद्ध घी का भोजन बनाकर देवी को भोग लगाएं। संध्या के समय अपने पति के पांव हाथ लगाकर उन्हें भी मिष्ठान दें व घर का भोजन परोसें।
कुंवारी कन्या इस व्रत को करते समय देवी सती को सफेद रंग के पुष्प अवश्य अर्पित करें। ऐसा करने से सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है और मनचाहा वर शीघ्र प्राप्त होता है।
नीलम
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