Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jan, 2023 10:47 AM
भारतीय संस्कृति में कुंडली मिलान की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पहले तो यह काम माता-पिता किसी विद्वान पंडित से करवाने के बाद ही अपने बच्चों की बात शादी के लिए आगे बढ़ाते थे।
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Kundli Matching Online: भारतीय संस्कृति में कुंडली मिलान की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। पहले तो यह काम माता-पिता किसी विद्वान पंडित से करवाने के बाद ही अपने बच्चों की बात शादी के लिए आगे बढ़ाते थे। आज बदलते लाइफ स्टाइल के साथ कुंडली मिलाने की रीति में भी परिवर्तन आया है। अब पंडितों का काम इंटरनेट के माध्यम से कुंडली मैच स्कोर के लिए परिचयात्मक ऐप करने लगे हैं। इसमें लड़का-लड़की अपनी विस्तृत जानकारी जैसे लिंग, डी.ओ.बी और जन्म स्थान डालते हैं। जो सॉफ्टवेयर में फीड होता है, उसके अनुसार फल प्राप्त होता है। कुंडली मिलान के समय 5 महत्वपूर्ण आधार होते हैं कुंडली अध्ययन, भाव मिलान,अष्टकूट मिलान, मंगल दोष विचार और दशा विचार।
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आमतौर पर इन एप्स में केवल गुण ही मिलाए जाते हैं, जो की सुखी वैवाहिक जीवन के लिए काफी नहीं हैं। अपने पूरे जीवन का फैसला एक वैबसाइट पर विश्वास करके 5-10 मिनट में लेना गलत है। आज अधिकतर लव मैरिज टूट रही हैं। जो लोग शादी से पहले बहुत अच्छे रिलेशन में थे वे शादी के बाद उतने सहज नहीं हो पाते। 36 गुण मिलने के बाद भी मामले कोर्ट तक पहुंच जाते हैं।
सुखी वैवाहिक जीवन की सबसे अहम भूमिका चन्द्रमा तय करते हैं। चन्द्रमा मन के कारक हैं। उनकी शुभता और अशुभता के प्रभाव से मैरिड लाइफ का भविष्य तय होता है। चन्द्रमा, गुरु और शुक्र इन तीनों ग्रहों की स्थिती शादी से पहले कुंडली में देखनी बहुत अवश्यक है। जो सॉफ्टवेयर नहीं बताता केवल ज्यतिष ही बता सकता है।
शादी के बाद लड़का-लड़की के एक नए जीवन की शुरुआत होती है तो उसे आगे बढ़ाने के लिए संतान महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संतान होगी या नहीं होगी, समय पर होगी या परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ये सब लड़के की कुंडली से पता लगता है। सबसे अहम भूमिका निभाती है नवांश कुंडली। यदि ये खराब है तो चाहकर भी शादी का सुख नहीं ले सकते। एप्स के मायाजाल में फंस कर पप्पू न बनें, किसी विद्वान की सलाह लेने के बाद ही शादी का फैसला।