Ram Navami 2021: इन स्थानों पर पड़े श्री राम के चरण

Edited By Updated: 21 Apr, 2021 06:33 PM

lord rama had visited these places during vanvas

पवित्र करने वाले को तीर्थ कहते हैं। सामान्यत: उस नदी, सरोवर, मंदिर अथवा भूमि को तीर्थ कहते हैं जिसमें स्नान आदि अथवा संपर्क में आने से मनुष्य के पाप अज्ञात रूप से नष्ट हो जाते हैं। ऐसे तीर्थ तीन प्रकार के होते हैं।

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पवित्र करने वाले को तीर्थ कहते हैं। सामान्यत: उस नदी, सरोवर, मंदिर अथवा भूमि को तीर्थ कहते हैं जिसमें स्नान आदि अथवा संपर्क में आने से मनुष्य के पाप अज्ञात रूप से नष्ट हो जाते हैं। ऐसे तीर्थ तीन प्रकार के होते हैं।

(क) नित्य तीर्थ : सृष्टि के आरंभ से ही जिस भूमि में पावन कारिणी शक्ति हो उसे नित्य तीर्थ कहते हैं जैसे काशी, मानसरोवर, कैलाश आदि। इसके अतिरिक्त गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, ताप्ती, महानदी पुण्य सरिताएं भी नित्य तीर्थ ही हैं।

(ख) भगवदीय तीर्थ : जहां भगवान का अवतार हुआ हो अथवा जहां भगवान ने किसी भी प्रकार की लीला की हो वे सभी भगवदीय तीर्थ हैं। श्री राम की यात्राओं से संबंधित इस ग्रंथ में वॢणत सभी स्थल भगवदीय तीर्थ की श्रेणी में आते हैं जिन स्थलों पर कभी श्री राम के चरण पड़े वह भूमि दिव्य हो गई। उस भूमि में श्री राम के चरणारविंद का चिन्मय प्रभाव आ गया जिसे काल भी प्रभावित नहीं कर सकता।

(ग) संत तीर्थ : जो जीवन मुक्त तन्मय संत हैं उनकी देह भी दिव्य गुणों से ओत-प्रोत होती है। उनकी दिव्य देह से गुणों के परमाणु सदा बाहर निकलते रहते हैं और संपर्क में आने वाली वस्तुओं को भी प्र

 संत तीर्थ : जो जीवन मुक्त तन्मय संत हैं उनकी देह भी दिव्य गुणों से ओत-प्रोत होती है। उनकी दिव्य देह से गुणों के परमाणु सदा बाहर निकलते रहते हैं और संपर्क में आने वाली वस्तुओं को भी प्रभावित करते हैं इसलिए संत के संपर्क में आई भूमि भी तीर्थ बन जाती है। उपर्युक्त अधिकांश स्थल संतों के संपर्क में आज तक हैं।

बसहैया जनकपुर (नेपाल) बिहार
श्री राम चरित मानस के अनुसार चारों भाइयों के विवाह के लिए बहुत सुंदर मंडप का निर्माण किया गया था। मंडप में बड़ी संख्या में बांसों का प्रयोग हुआ था तथा इसी जंगल से बांस काट कर ले जाए गए थे। आज भी कन्याओं के विवाह में प्रतीक रूप में यहां से बांस ले जाए जाते हैं। यह जंगल कटता-कटता अब सिकुड़ गया है। (जनश्रुतियों के आधार पर)

दूधमती नदी बसहैया जनकपुर (नेपाल)
माना जाता है कि सीता जी के विवाह में जल की व्यवस्था के लिए नदी का उद्गम खोज कर उसे विकसित किया गया था। नदी का जल दूध की भांति धवल है इसलिए नाम दूधमती नदी है। अब नेपाल की शिवभक्त जनता यहां से कांवड़ भर कर भगवान शिव का जलाभिषेक करती है। (जनश्रुतियों के आधार पर)

गिरिजा मंदिर फुलहर गांव, मधुबनी (बिहार)
मां सीता यहां मां भवानी जी का पूजन करने आई थीं। यहीं पर श्री राम व सीता मां ने पहली बार एक-दूसरे के दर्शन किए।

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