Magh Gupt Navratri: आज से आरंभ होंगे माघ गुप्त नवरात्रि, जानें घट स्थापना का मुहूर्त

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Jan, 2023 07:04 AM

magh gupt navratri

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल चार नवरात्री आते हैं। जिसमें दो गुप्त और दो प्रकट होते हैं। माघ और आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्री को गुप्त नवरात्री कहा जाता है। माघ माह में आने वाली नवरात्री विद्याओं की सिद्धि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

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Magh Gupt Navratri 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल चार नवरात्री आते हैं। जिसमें दो गुप्त और दो प्रकट होते हैं। माघ और आषाढ़ मास में आने वाली नवरात्री को गुप्त नवरात्री कहा जाता है। माघ माह में आने वाली नवरात्री विद्याओं की सिद्धि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन दिनों में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। आज से शुरू माघ गुप्त नवरात्री के दिन महाविद्याओं से सिद्धियां व शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त रुप से साधना की जाती है। तो आइए जानते हैं कि कौन से शुभ मुहूर्त के दौरान घट स्थापना और आदिशक्ति की उपासना करनी चाहिए।

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How long is Gupt Navratri कब से कब तक है गुप्त नवरात्रि: हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ  गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी 2023 को शुरू हो जाएगी और 30 जनवरी को इसका समापन होगा। 

Magh Gupt Navratri Muhurta in Siddhi Yoga सिद्धि योग में माघ गुप्त नवरात्रि का मुहूर्त:

माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि-  22 जनवरी 2023 को रात 02 बजकर 22 मिनट से आरंभ

प्रतिपदा तिथि समाप्त- 22 जनवरी को ही रात 10 बजकर 27 मिनट पर

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त- 22 जनवरी को सुबह 08:34 से लेकर 09:59 तक

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से दोपहर 01 बजे तक

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Kalash sthapana puja vidhi कलश स्थापना पूजा विधि: घर की उत्तर पूर्व दिशा को अच्छे से साफ करके गंगा जल और गौ मूत्र छिड़क कर पवित्र करें। अब यहां कलश स्थापित करना चाहिए।
कलश पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और सिंदूर का टीका करें। कलश के मुख पर कलावा बांधे। 

कलश स्थापित करने से पहले सप्तधान बिछाएं और इस मंत्र का जाप करें- ' ॐ धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा, दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि' 

जिस स्थान पर कलश स्थापित कर रहे हैं, वहां दाएं हाथ को स्पर्श करते हुए इस मंत्र का जाप करें-  'ॐ भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं, पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः' 

कलश को विराजित करते हुए इस मंत्र का जाप करें- 'ॐ  आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:, पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः' 

अब कलश के मुंह पर आम के पत्ते सजाएं, उसके ऊपर नारियल रखकर मौली बांधे, चावल और कुमकुम का तिलक करें।

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10 Mahavidyas of Gupta Navratri गुप्त नवरात्रि की 10 महाविद्याएं- मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वर, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला

Significance of Gupta Navratri गुप्त नवरात्रि का महत्व: हिंदू धर्म में चैत्र और शारदीय नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, वहीं गुप्त नवरात्रि को जितना गुप्त रखा जाएं उतना ही अच्छा। इन दिनों 10 महाविद्याओं की पूजा करने से जीवन के सारे दुःख-दर्द समाप्त हो जाते हैं। बड़े-बड़े ऋषि-मुनि इन दिनों तंत्र-मंत्र से बड़ी से बड़ी कामना को पूर्ण करते हैं।

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