Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Dec, 2022 08:44 AM
दस्तार सिख के सिर का ताज व बादशाहत का प्रतीक है। इस महान विरासत से अपनी नई पीढ़ी को जोड़ना राष्ट्र की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। ये शब्द अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने
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अमृतसर (स.ह.): दस्तार सिख के सिर का ताज व बादशाहत का प्रतीक है। इस महान विरासत से अपनी नई पीढ़ी को जोड़ना राष्ट्र की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। ये शब्द अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख युवाओं में दस्तार की महानता को उजागर करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब में साहिबजादा बाबा फतेह सिंह जी के जन्म दिवस को समर्पित राष्ट्रीय दस्तारबंदी समारोह के दौरान कहे। दस्तारबंदी समारोह में 1300 बच्चों ने भाग लिया और दस्तारें सजाकर सिख गौरव का प्रकटावा किया।
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श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कुछ बच्चों को दस्तारें सजाकर समारोह की शुरूआत करवाई। इससे पहले हैड ग्रंथी ज्ञानी मलकीत सिंह ने अरदास की।
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि खालसा को 10वें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा बख्शी गई दस्तार सिखी के गौरवशाली विरसे का प्रतीक है। यह सिखों के सिर का ताज और बादशाहत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इसी मंतव्य से आज की दस्तारबंदी समागम का आयोजन करवाया गया है।