Edited By Jyoti,Updated: 27 Sep, 2022 12:46 PM
बहुत समय पहले एक राजा के सपने में एक परोपकारी साधु ने कहा कि कल रात को तुम्हें एक विषैला सांप काटेगा। वह सर्प अमुक पेड़ की जड़ में रहता है और वह तुमसे पूर्व जन्म की शत्रुता का बदला लेना चाहता है। सुबह जब राजा सोकर उठा तो उसने
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बहुत समय पहले एक राजा के सपने में एक परोपकारी साधु ने कहा कि कल रात को तुम्हें एक विषैला सांप काटेगा। वह सर्प अमुक पेड़ की जड़ में रहता है और वह तुमसे पूर्व जन्म की शत्रुता का बदला लेना चाहता है। सुबह जब राजा सोकर उठा तो उसने निर्णय किया कि वह सर्प के साथ मधुर व्यवहार करके उसका मन बदल देगा।
शाम होते ही राजा ने उस पेड़ की जड़ से लेकर अपनी शय्या तक फूलों का बिछौना बिछवाया, सुगंधित जलों का छिड़काव कर मीठे दूध के कटोरे जगह-जगह रखवा दिए।
रात को सांप अपनी बांबी में से बाहर निकला और राजा के महल की तरफ चल दिया। वह जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया अपने लिए की गई स्वागत व्यवस्था को देखकर आनंदित होता गया। सांप के मन में स्नेह उमड़ आया। सद्व्यवहार, नम्रता, मधुरता के जादू ने उसे मंत्रमुग्ध कर लिया था।
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कुछ देर बाद सांप राजा के शयन कक्ष में पहुंचा। उसने सोचा जिसका ऐसा मधुर व्यवहार है, उस धर्मात्मा राजा को कैसे काटूं?
उसने राजा से कहा, राजन! मैं तुम्हें काट कर अपने पूर्व जन्म का बदला चुकाने आया था लेकिन तुम्हारे सद्व्यवहार ने मुझे परास्त कर दिया। अब मैं तुम्हारा शत्रु नहीं मित्र हूं। मित्रता के उपहार स्वरूप अपनी बहुमूल्य मणि मैं तुम्हें दे रहा हूं।