Padmini Ekadashi: 3 साल बाद आया शुभ योग, उठाएं महालाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jul, 2023 08:24 AM

padmini ekadashi auspicious yoga

पुरुषोत्तम मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत मनुष्य के सभी पापों का सम्पूर्ण नाश करता है। पुरुषोत्तम मास को अधिक एवं मल मास भी कहते हैं तथा इस मास में आने वाली एकादशियां पुरुषोत्तमा एकादशियों के नाम से जानी जाती हैं। वैसे तो साल भर में कुल 24...

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Purushottam Ekadashi: पुरुषोत्तम मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत मनुष्य के सभी पापों का सम्पूर्ण नाश करता है। पुरुषोत्तम मास को अधिक एवं मल मास भी कहते हैं तथा इस मास में आने वाली एकादशियां पुरुषोत्तमा एकादशियों के नाम से जानी जाती हैं। वैसे तो साल भर में कुल 24 एकादशीयां आतीं हैं परन्तु अधिक मास में 2 एकादशियां बढ़ जाती हैं, जिससे एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है।

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पुरुषोत्तम मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 29 जुलाई को है, जो पद्मिनी एकादशी एवं कमला के साथ ही पुरषोत्तमा एकादशी के रुप में जानी जाती है।  इस एक एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को सभी एकादशीयों के व्रत का पुण्य फल प्राप्त हो जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार इसे दुर्लभ एकादशी का नाम भी दिया गया है क्योंकि यह एकादशी तीन साल के पश्चात आती है।

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व्रत में क्या करें: व्रत करने के लिए एक दिन पहले अर्थात 28 जुलाई को व्रत करने का संकल्प करके सच्चे भाव से व्रत करना चाहिए। इस व्रत से बढ़कर अन्य कोई यज्ञ, तप, दान या पुण्य नहीं है। जिसने इस ज्ञान रुपी एकादशी का व्रत किया हो उसे पृथ्वी के सभी तीर्थ और क्षेत्रों के दर्शन एवं स्नान का फल मिलता है। सूर्यादय से पूर्व उठकर प्रभु का पूजन करें, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दान दें। व्रत में  श्री राधा सहित भगवान श्री कृष्ण और लक्ष्मी जी सहित भगवान विष्णु और मां पार्वती जी सहित भगवान शिव का विधिपूर्वक पूजन करें। व्रत में पहले पहर की पूजा नारियल, दूसरे पहर की बेलपत्र, तीसरे में सीताफल और चौथे पहर में सुपारी से प्रभु का पूजन करना श्रेष्ठ कर्म है।  व्रत में मीठी फलाहार करें।

रात को मंदिर में दीपदान करने तथा हरिनाम संकीर्तन करने से बड़ा व्रत में कोई कर्म नहीं है। इन दिनों में भीष्ण गर्मी होती है इसलिए प्यासों के लिए पानी की व्यवस्था करें और पक्षियों के लिए घरों की छत्त पर मिट्टी के कसोरे में जल अवश्य रखें ताकि जिसे पीकर पक्षी भी तृप्त हो जाएं और उनका भी आशीर्वाद मिल सके। गौ सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है,इसलिए व्रत में गाय माता को गुड़ और हरा चारा खिलाएं, गौशाला में जाकर गाय की सेवा करें, उसे जल पिलाएं। इस दिन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का पाठ अवश्य करें और तिल, वस्त्र और धन का दान करने पर कई गुणा अधिक पुण्य फल मिल सकता है।

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किस पूजन से क्या फल प्राप्त होता है: वैसे तो पुरषोत्म मास में कोई भी कर्म किसी विशेष इच्छा से नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि शास्त्रानुसार इस मास में सभी कर्म नि:स्वार्थ भाव से करने का प्राव्धान माना गया है। सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापक परमात्मा सभी के मन की जानते हैं तथा अपने भक्तों पर सदा कृपा करते हुए उन्हें बिना मांगे ही सब कुछ प्रदान कर देते हैं, फिर भी जो भक्तों को इस व्रत में प्रथम पहर के पूजन से अगिनष्टोम यज्ञ का फल, दूसरे पहर की पूजा से बाजपेय यज्ञ, तीसरे से अश्वमेघ यज्ञ और चौथे पहर के पूजन से राजसूय यज्ञ के सामान उत्तम फल की प्राप्ति होती है। उत्तम संतान प्राप्ति की कामना से भी यह व्रत किया जा सकता है। 

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क्या न करें: वैसे तो इस एकादशी व्रत में जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए परन्तु यदि ऐसा सम्भव न हो तो व्रत में कांसे के बर्तनों में भोजन न करें। मूंग, मसूर, चना, कद्दू, शाक और मधु का भी प्रयोग न करें। व्रत में जो कुछ खाएं वह अपने घर में ही तैयार करें अर्थात पराए अन्न का सेवन कभी न करें। 

व्रत में क्रोध न करें।

झूठ न बोलें और न ही किसी की निंदा व चुगली करें। ब्राह्मणों और गुरु की निंदा करना महापाप है।


क्या कहते हैं विद्वान- भगवान विष्णु जी के प्रिय भक्तों को सदा ही एकादशी व्रत का पालन सच्चे भाव से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पदमपुराण के अनुसार पक्षियों में गरुड़, नदियों में गंगा, मासों में पुरुषोत्तम मास जितना श्रेष्ठ है, उतना ही तिथियों में एकादशी तिथि का यह व्रत पुण्यफलदायक है। इस व्रत में बिना मांगे ही भक्त को सभी सुखों की प्राप्ति होती हैं। वैसे तो पूरा मास दीपदान करने का महात्मय है परंतु एकादशी व्रत में दीपदान करने तथा रात्रि संकीर्तन से बड़ा कोई कर्म नहीं है। 

 

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