Vat Savitri Purnima Vrat Katha: वट सावित्री पूर्णिमा पर सुहागन महिलाएं पढ़ें ये कथा, घर में रहेगी खुशहाली

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Jun, 2025 06:46 AM

vat savitri purnima vrat katha

Vat Savitri Purnima Vrat Katha: ज्येष्ठ मास के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर सुहागन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। इस दिन वट वृक्ष यानी बरगद के साथ सत्यवान और सावित्री की पूजा का विधान है। स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के मुताबिक ज्येष्ठ...

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Vat Savitri Purnima Vrat Katha: ज्येष्ठ मास के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा पर सुहागन महिलाएं वट सावित्री व्रत करती हैं। इस दिन वट वृक्ष यानी बरगद के साथ सत्यवान और सावित्री की पूजा का विधान है। स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के मुताबिक ज्येष्ठ पूर्णिमा को सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं यह व्रत करती हैं। इस दिन गंगा स्नान कर के पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान और पति की उम्र बढ़ती है, अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा महत्वपूर्ण है।  

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पौराणिक कथा के अनुसार मद्र देश के राजा अश्वपति की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने संतान पाने के लिए यज्ञ किया, जो 18 साल तक चलता रहा। इसके बाद देवी सावित्री प्रकट हुईं और आशीर्वाद दिया कि तुम्हें जल्दी ही तेजस्वी बच्ची मिलेगी। 

ऐसा ही हुआ, राजा के घर बेटी का जन्म हुआ। मां सावित्री की कृपा से जन्म लेने के कारण उस बच्ची का नाम सावित्री रखा गया।

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सावित्री बड़ी हुई, लेकिन उसकी शादी के लिए कोई अच्छा राजकुमार नहीं मिल रहा था। इससे सावित्री के पिता दुखी थे। उन्होंने अपनी बेटी को ही राजकुमार की तलाश में भेजा। सावित्री तपोवन में भटकने लगी। वहां साल्व देश के राजा द्युमत्सेन रहते थे, क्योंकि उनका राज्य किसी ने छीन लिया था। उनके बेटे सत्यवान को सावित्री ने पति के रूप में चुन लिया।

नारदजी ने सावित्री को सत्यवान से शादी न करने की सलाह दी, कि सत्यवान अल्पायु है, यानी उसकी मृत्यु जल्दी हो जाएगी। फिर भी सावित्री ने सत्यवान से ही शादी की, लेकिन शादी के कुछ दिनों बाद जंगल में बरगद के पेड़ के नीचे सत्यवान की मृत्यु हो गई। तब सावित्री ने भगवान शिव की तपस्या की।

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वह पतिव्रता थी, इसलिए भगवान खुश हुए। उन्होंने सावित्री को अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमलोक भेज दिया। वहां सावित्री ने यमराज से पति को वापस जिंदा करने की विनती की। तब यमराज ने उसके पति को वापस जिंदा कर दिया और सावित्री को धरती पर भेज दिया।

सावित्री ने अपने तप और सतित्व की ताकत से मृत्यु के स्वामी भगवान यम को अपने पति सत्यवान के प्राण वापस करने के लिए मजबूर किया इसलिए शादीशुदा महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।    

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