Vighnaraj Sankashti Chaturthi: आपके जीवन की हर कमी को पूरा करेंगे बप्पा, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर करें ये पूजा और पढ़ें कथा

Edited By Updated: 10 Sep, 2025 06:45 AM

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Vighnaraj Sankashti Chaturthi 2025: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में चल रही बाधाएं और संकट दूर होते हैं। धन, बुद्धि और आयु की वृद्धि होती है। संतान-सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पितरों की कृपा और देवी-देवताओं का...

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Vighnaraj Sankashti Chaturthi 2025: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में चल रही बाधाएं और संकट दूर होते हैं। धन, बुद्धि और आयु की वृद्धि होती है। संतान-सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पितरों की कृपा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। यदि आप में व्रत रखने की शक्ति नहीं है तो अवश्य करें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की पूजा और पढ़ें कथा। आपके जीवन की हर कमी को पूरा करेंगे बप्पा !

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Vighnaraj Sankashti Chaturthi puja-fast method विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा-व्रत विधि
प्रातःकाल स्नान कर संकल्प लें। पूरे दिन उपवास रखें। संध्या समय गणेश जी की मूर्ति या चित्र को लाल वस्त्र पर स्थापित करें।
गणेश जी को जल से स्नान कराएं (अभिषेक करें या प्रतीक रूप में गंगा जल छिड़कें)। रोली, अक्षत, पुष्प, दूर्वा-दल अर्पित करें।
गणेश जी को मोदक, गुड़, लड्डू और फल भोग स्वरूप चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर गणेश जी की आरती करें। चंद्रमा उदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। तांबे के पात्र में जल, अक्षत, दुग्ध और पुष्प डालकर अर्घ्य अर्पण करें। तत्पश्चात व्रत का समापन करें और फलाहार लें।

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Vighnaraj Sankashti Chaturthi Puja Mantra विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा मंत्र
गणेशजी की पूजा में इन मंत्रों का जप करें:
बीज मंत्र-
ॐ गं गणपतये नमः
अवाहित मंत्र- ॐ विघ्नराजाय नमः
ध्यान मंत्र- शुक्लांबरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्। प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥

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Vighnaraj Sankashti Chaturthi story विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कथा
एक समय की बात है देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हो रहा था। देवताओं ने भगवान शिव और विष्णु से सहायता मांगी। उन्होंने बताया कि पहले गणेशजी को प्रसन्न करना होगा, क्योंकि वे विघ्नहर्ता और कार्यसिद्धि के देवता हैं।

देवताओं ने गणेशजी की संकष्टी चतुर्थी पर विधिपूर्वक उपवास और पूजन किया। प्रसन्न होकर गणेशजी ने उन्हें वरदान दिया कि इस व्रत को करने वाला हर भक्त जीवन की बाधाओं से मुक्त होगा और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

इसी कारण इस व्रत का नाम विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पड़ा। इस दिन गणेशजी की पूजा से विशेष पुण्य मिलता है।

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