Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Sep, 2025 03:10 PM

Vijayadashami Story 2025: विजयादशमी केवल त्यौहार नहीं, बल्कि धर्म और आदर्श जीवन का प्रतीक है। देवी दुर्गा की कथा हमें सिखाती है कि धैर्य, तप, साधना और न्याय के मार्ग पर चलकर कोई भी बुराई नष्ट की जा सकती है। यह दिन शक्तिशाली निर्णय, सकारात्मकता और...
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Vijayadashami Story 2025: विजयादशमी केवल त्यौहार नहीं, बल्कि धर्म और आदर्श जीवन का प्रतीक है। देवी दुर्गा की कथा हमें सिखाती है कि धैर्य, तप, साधना और न्याय के मार्ग पर चलकर कोई भी बुराई नष्ट की जा सकती है। यह दिन शक्तिशाली निर्णय, सकारात्मकता और शिक्षा की प्राप्ति का प्रतीक है। घर, मंदिर और समाज में इसे पूजा, हवन और लोककला के माध्यम से मनाया जाता है।

महिषासुर का उदय और अत्याचार
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, महिषासुर एक असुर था जो अपने अत्याचार और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। उसने देवताओं को परेशान कर दिया और स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। अपने शक्ति-संयम और तपस्या से उसने देवताओं को चुनौती दी। देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश से प्रार्थना की कि कोई असुरों का संहार करे। सभी देवताओं ने मिलकर महाशक्ति देवी दुर्गा का आविर्भाव किया।
देवी दुर्गा को अत्याचार और अधर्म का नाश करने के लिए उत्पन्न किया गया। उनके हाथों में त्रिशूल, खड्ग, गदा और धनुष थे। उनका वाहन शेर (सिंह) था, जो साहस और शक्ति का प्रतीक है। देवी दुर्गा ने महिषासुर का सामना करने से पहले नौ दिनों तक तप, साधना और युद्ध की तैयारी की।
नौ दिनों की महा अभियान कथा
यह नौ दिन का युद्ध नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। हर दिन देवी ने महिषासुर के विभिन्न रूपों का संहार किया। नवरात्रि के दौरान, हर स्वरूप का दर्शन और पूजा भक्तों के लिए शक्ति और साहस का प्रतीक है।
महिषासुर वध और विजयदशमी
दसवें दिन, देवी दुर्गा ने महिषासुर का नाश कर दिया। यह दिन विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। विजयादशमी का संदेश है अधर्म पर धर्म की जीत, अज्ञान पर ज्ञान की विजय और बुराई पर अच्छाई की सफलता।
धार्मिक और सामाजिक महत्व
विजयादशमी केवल युद्ध की स्मृति नहीं है, यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शिक्षा भी देती हैं। इस दिन से नए कार्य आरंभ करना शुभ माना जाता है। विद्यालय, कार्यालय और घर में सर्वप्रथम देवी पूजा और शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करने की परंपरा है।
विजयादशमी के अनुष्ठान और पर्व
रामलीला और महिषासुर मर्दिनी मंचन – लोक कला और धर्म का मिश्रण।
अलंकृत दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन – प्रकृति और देवता के प्रति श्रद्धा।
शस्त्र पूजा (Ayudha Puja) – हथियार और उपकरणों का सम्मान।
सामाजिक सामंजस्य – बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश परिवार और समाज में साझा करना।
