Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jun, 2025 03:33 PM

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और अमेरिका ने आपसी व्यापार तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि दोनों देशों ने एक नए व्यापार ढांचे पर सहमति बना ली है। इस समझौते के तहत अमेरिका...
नेशनल डेस्क: दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं चीन और अमेरिका ने आपसी व्यापार तनाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि दोनों देशों ने एक नए व्यापार ढांचे पर सहमति बना ली है। इस समझौते के तहत अमेरिका अपने कुछ प्रतिबंधों को हटाएगा और चीन दुर्लभ पृथ्वी जैसे सामरिक महत्व की वस्तुओं के निर्यात के लिए आवेदन प्रक्रिया की समीक्षा करेगा और मंजूरी देगा।
डोनाल्ड ट्रम्प के बयान से खुलासा
इस समझौते की जानकारी सबसे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दी गई, जिन्होंने कहा कि "हमने कल ही चीन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।" इसके बाद चीन की ओर से भी आधिकारिक बयान आया जिसमें इस व्यापारिक सहमति की पुष्टि की गई। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने इस पर और जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका और चीन ने जिनेवा समझौते को लागू करने के लिए एक ढांचे की अतिरिक्त समझ पर सहमति जताई है। यह समझौता तकनीकी प्रतिबंधों को कम करने और दुर्लभ पृथ्वी (Rare Earth Elements) के व्यापार को लेकर है।
लंदन में हुई थी उच्च स्तरीय बैठक
इस महीने की शुरुआत में लंदन में चीन और अमेरिका की व्यापार वार्ता टीमों के बीच दो दिन की उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। अमेरिका की ओर से ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और चीन की ओर से उप प्रधानमंत्री हे लाइफ़ेंग ने नेतृत्व किया। इस बैठक में ही दोनों देशों ने जिनेवा समझौते को लागू करने पर सहमति बनाई थी। लंदन की यह वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि बीते महीनों में दोनों देश एक-दूसरे पर जिनेवा व्यापार समझौते का उल्लंघन करने के आरोप लगाते आ रहे थे। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को काफी हद तक कम किया है।
दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर फोकस
इस नए समझौते का मुख्य बिंदु है दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का निर्यात, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, ऊर्जा और हाई-टेक इंडस्ट्री में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। चीन दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ पृथ्वी उत्पादक और निर्यातक देश है। अमेरिका लंबे समय से चीन पर इन सामग्रियों की आपूर्ति को रोकने या नियंत्रित करने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि थिंक टैंक 'द कॉन्फ्रेंस बोर्ड' के वरिष्ठ सलाहकार अल्फ्रेडो मोंटूफ़र-हेलू ने चेतावनी दी है कि फिलहाल बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समझौते में अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि किन दुर्लभ पृथ्वी उत्पादों पर प्रतिबंध हटेगा और किन पर नहीं। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इनका व्यापार अभी भी सीमित रह सकता है।
पुराना जिनेवा समझौता क्यों विफल हुआ?
इससे पहले मई में जिनेवा में हुई बैठक के बाद अमेरिका और चीन ने 90 दिनों के लिए एक-दूसरे पर लगाए गए टैरिफ को निलंबित करने का निर्णय लिया था। साथ ही यह भी तय हुआ था कि दोनों कुछ प्रतिबंधों को वापस लेंगे। लेकिन यह समझौता लंबे समय तक नहीं चल पाया। समस्या की शुरुआत तब हुई जब चीन ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात में ढील देने की प्रक्रिया बहुत धीमी कर दी। वहीं अमेरिका ने चीनी छात्रों के वीजा और कुछ तकनीकी कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगा दिए। इससे आपसी विश्वास में कमी आई और जिनेवा समझौता धीरे-धीरे निष्प्रभावी हो गया।