आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विराम क्यों चाहते हैं इलॉन मस्क

Edited By DW News,Updated: 30 Mar, 2023 08:22 PM

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर विराम क्यों चाहते हैं इलॉन मस्क

तकनीकी दुनिया के दिग्गज खिलाड़ियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर मानवता पर खतरे की आशंका जताई है. कुछ लोग इसे व्यर्थ की हायतौबा तो कुछ लोग जरूरी चिंता बता रहे हैं. आखिर मामला क्या है?क्या टेक कंपनियां ताकतवर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को जरूरत से ज्यादा तेजी से विकसित कर रही हैं? क्या यह तकनीक इंसानों को पीछे छोड़ देंगी? टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क और एप्पल के सह संस्थापक स्टीव वोज्नियाक जैसे प्रमुख तकनीकी दिग्गज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जोखिम पर विचार करने के लिए कम से कम छह महीने तक ऐसी तकनीकों पर विराम लगाना चाहते हैं. सैन फ्रांसिस्को की स्टार्टअप ओपेन एआई ने जीपीटी-4 को हाल ही में जारी करने की घोषणा की है. इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों पर भी इस तरह के एप्लीकेशन को जारी करने की होड़ शुरू होगी. इसी के बाद तकनीकी क्षेत्र के दिग्गजों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर चिंता जताते हुए चिट्ठी लिखी है. इंसानों जैसी बातें करने लगा एआई, झगड़ता धमकाता भी है क्या कहा है मस्क ने? इस चिट्ठी में चेतावनी दी गई है कि ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम जिनमें "ह्यूमन कंपटीटिव इंटेलिजेंस है वह समाज और मानवता के लिए खतरा बन सकते हैं." इंटरनेट पर गलत सूचनाओं की बाढ़ से लेकर ऑटोमेशन और नौकरियां छीनने जैसे खतरों की बात इसमें है. चिट्ठी में यह भी कहा गया है, "हाल के महीनों में एआई की प्रयोगशालाएं इतने अधिक ताकतवर डिजिटल दिमाग को बनाने की अनियंत्रित होड़ में शामिल हो गयी हैं जिन्हें उनको बनाने वाले भी ठीक से नहीं समझ रहे. ना तो वो उनका पूर्वानुमान लगा सकते हैं ना ही भरोसे के साथ नियंत्रित कर सकते हैं." तकनीकी दिग्गजों ने लिखा है, "हम सभी एआई प्रयोगशालाओं से आग्रह करते हैं कि वो कम से कम छह महीने के लिए जीपीटी-4 से ज्यादा ताकतवर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रशिक्षण रोक दें." चिट्ठी में यह भी लिखा है, "यह रोक सार्वजनिक होनी चाहिए जिन्हें पुष्ट किया जा सके और इसमें सभी प्रमुख लोग शामिल होने चाहिए. अगर इस तरह की रोक तुरंत लागू नहीं होती तो सरकारों को आगे आ कर इस पर पाबंदी लगानी चाहिए." कई देशों में सरकारें पहले ही अत्यधिक जोखिम वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपकरणों को नियंत्रित करने पर काम कर रही हैं. बुधवार को ब्रिटेन की सरकार ने इस बारे में एक पेपर जारी कर अपना प्रस्ताव सामने रखा है. इसमें कहा गया है, "ऐसे कानूनों से बचा जायेगा जो नई खोजों के मार्ग को बाधित कर सकती हैं." यूरोपीय संघ के सांसद भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर नियम बनाने पर चर्चा कर रहे हैं. एआई के खिलाफ किन लोगों ने की है अपील? यह अपील गैरसरकारी संगठन फ्यूचर फॉर लाइफ इंस्टीट्यूट की पहल पर जारी हुई है. इस पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अगुआ योशुआ बेंजिये के साथ स्टुअर्ट रसेल, गैरी मार्कुस जैसे दिग्गज एआई रिसर्चरों के दस्तखत हैं. इनके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति पद के पूर्व उम्मीदवार एंड्रयू यांग और बुलेटिन ऑफ द एटोमिक साइंटिस्ट्स के प्रमुख रशेल ब्रॉन्सन ने भी इस पर दस्तखत किये हैं. टेस्ला, ट्वीटर और स्पेसएक्स के प्रमुख इलॉन मस्क ओपेन एआई के सहसंस्थापक और शुरुआती निवेशक हैं. हालांकि वह एआई की वजह से अस्तित्व के खतरे को लेकर चिंता जताते रहे हैं. इसमें एक चौंकाऊ नाम एमाद मोस्ताक का भी है जो स्टेबिलिटी एआई के सीईओ हैं. इसी कंपनी ने एआई इमेज जेनरेटर स्टेबल डिफ्यूजन बनाया है और इसकी अमेजन के साथ पार्टनरशिप है. इसका मुकाबला ओपेन एआई के इसी तरह के जेनरेटर डॉल-ई से है. कैसी प्रतिक्रिया मिली? ओपेन एआई, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल ने बुधवार को इस मामले पर प्रतिक्रिया देने के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. हालांकि इस चिट्टी को लेकर पहले से ही कई शंकायें हैं. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में डिजिटल एंड इनफॉर्मेशन लॉ के प्रोफेसर जेम्स ग्रिमेलमान कहते हैं, "विराम का विचार अच्छा है लेकिन चिट्ठी बहुत अस्पष्ट है जो नियामक समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेती. इस पर इलॉन मस्क के दस्तखत होना भी इसका दोहरा चरित्र दिखाता है क्योंकि टेस्ला ने सेल्फ ड्राइविंग कारों के खराब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी लेने के खिलाफ लड़ाई लड़ी है." चैटजीपीटी बदल रहा है पढ़ाई लिखाई के तरीके, लेकिन कैसे? एआई पर जरूरत से ज्यादा हायतौबा? इस पत्र ने एआई को मौजूदा वास्तविकता से कहीं ज्यादा चतुर दिखाया है, यह कोई महामानव नहीं है जैसा कि पत्र में दस्तखत करने वाले कुछ लोगों ने आशंका जाहिर की है. चैट जीपीटी सामान्य रूप से एक टेक्स्ट जेनरेटर है जो जवाब में लिखे जाने वाले शब्दों की तेजी से भविष्यवाणी करता है. यह इस पर निर्भर है कि उसमें कितना अधिक लिखित डेटा इंजेस्ट कराया गया है. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गैरी मार्कुल ने भी इस चिट्ठी पर दस्तखत किये हैं. एक ब्लॉग पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि वह उन लोगों से इस बात पर असहमत हैं जिन्होंने बहुत जल्द आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मानव नियंत्रण से बाहर जा कर खुद को बेहतर बना लेने की आशंका पर चिंता जताई है. उनकी चिंता मध्यम दर्जे का एआई है जिसे व्यापक रूप से आपराधियों और आतंकवादियों के हाथों गलत सूचना फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. मार्कुस ने लिखा है, "मौजूदा तकनीक पहले ही ऐसे बड़े सारे खतरे लेकर आई है जिसका सामना करने के लिए हम ठीक से तैयार नहीं हैं, भविष्य की तकनीकों के साथ चीजें और खराब हो सकती हैं." एनआर/ओएसजे (एपी)

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे DW फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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