Edited By Rohini Oberoi,Updated: 30 Jun, 2025 09:39 AM

ईरान के एक शीर्ष शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासर मकरम शिराज़ी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक सनसनीखेज़ 'फतवा' (धार्मिक फरमान) जारी किया है। इस फरमान में उन्हें सीधे तौर पर "अल्लाह का...
इंटरनेशनल डेस्क। ईरान के एक शीर्ष शिया धर्मगुरु ग्रैंड अयातुल्ला नासर मकरम शिराज़ी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक सनसनीखेज़ 'फतवा' (धार्मिक फरमान) जारी किया है। इस फरमान में उन्हें सीधे तौर पर "अल्लाह का दुश्मन" कहा गया है और साथ ही धमकी देते हुए कहा गया है कि अल्लाह के दुश्मनों को नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा।
'अल्लाह का दुश्मन' घोषित, जान का खतरा
अयातुल्ला मकरम शिराज़ी ने अपने आदेश में कहा है, कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा (अल्लाह का प्रतिनिधि) को धमकी देता है उसे 'युद्ध सरदार' या 'मोहरेब' माना जाता है।" रिपोर्ट के अनुसार 'मोहरेब' वह व्यक्ति होता है जो ईश्वर के खिलाफ युद्ध छेड़ता है। ईरानी कानून के तहत 'मोहरेब' के रूप में पहचाने जाने वाले लोगों को मृत्युदंड, सूली पर चढ़ाने, अंग विच्छेदन या निर्वासन जैसी कड़ी सज़ाओं का सामना करना पड़ सकता है। यह फतवा ट्रंप और नेतन्याहू के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में देखा जा रहा है।
फतवे में मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान
इस फतवे में दुनिया भर के मुसलमानों से एकजुट होने और इस्लामिक गणतंत्र के नेतृत्व को धमकी देने वाले अमेरिकी और इज़रायली नेताओं को नेस्तनाबूद करने का आह्वान किया गया है। फतवे में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मुसलमानों या इस्लामी राज्यों द्वारा उस दुश्मन के लिए कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। इसमें आगे कहा गया है, दुनिया भर के सभी मुसलमानों के लिए यह आवश्यक है कि वे इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएँ।
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धार्मिक फरमान में यह भी कहा गया है कि यदि कोई मुसलमान जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है अपने अभियान में कठिनाई या हानि उठाता है तो उसे ईश्वर की राह में योद्धा के रूप में पुरस्कृत किया जाएगा यदि ईश्वर चाहेगा।
ईरान के सुप्रीम लीडर पर हमले को 'अल्लाह के खिलाफ युद्ध' माना जाएगा
फतवे में आगे लिखा गया है कि ईरान के सुप्रीम लीडर को धमकी देने या उनकी हत्या की कोशिश करने वालों को अल्लाह के प्रकोप का सामना करना पड़ेगा। इस तरह की हरकत को केवल अल्लाह की तौहीन (अपमान) के तौर पर ही नहीं बल्कि इसे सीधे तौर पर अल्लाह के खिलाफ युद्ध के रूप में देखा जाएगा।
यह फतवा ईरान और पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका और इज़रायल के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और बढ़ा सकता है।