पेंटागन की चेतावनी: चीन के लिए अरुणाचल ताइवान जितना अहम, बढ़ सकता है India-China में टकराव

Edited By Updated: 27 Dec, 2025 04:22 PM

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पेंटागन की हालिया रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि चीन अब अरुणाचल प्रदेश को ताइवान के समान रणनीतिक महत्व दे रहा है और इसे अपने "कोर इंटरेस्ट" में शामिल कर चुका है। रिपोर्ट के अनुसार, 2049 तक वैश्विक शक्ति बनने के लक्ष्य के तहत चीन सीमाई विवादों पर...

इंटरनेशनल डेस्क : अमेरिका के रक्षा विभाग पेंटागन की हालिया रिपोर्ट में भारत और चीन के संबंधों को लेकर एक अहम चेतावनी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अब अरुणाचल प्रदेश को ताइवान के बराबर रणनीतिक महत्व देने लगा है और इसे अपने “कोर इंटरेस्ट” में शामिल कर चुका है। दस्तावेज के अनुसार, आने वाले समय में अरुणाचल प्रदेश भारत और चीन के बीच एक बड़े विवाद का कारण बन सकता है।

पेंटागन की इस रिपोर्ट में ताइवान, अरुणाचल प्रदेश और साउथ चाइना सी को चीन की दीर्घकालिक रणनीति के तीन प्रमुख स्तंभ बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन क्षेत्रों पर चीन के दावे उसकी सैन्य और कूटनीतिक नीति का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

2049 तक वैश्विक शक्ति बनने की चीन की योजना
रिपोर्ट के अनुसार, चीन वर्ष 2049 तक अपने “ग्रेट रीजुवेनेशन” लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। इसके तहत वह न केवल आर्थिक और राजनीतिक रूप से बल्कि सैन्य रूप से भी एक ऐसी शक्ति बनना चाहता है जो किसी भी युद्ध को जीतने में सक्षम हो। पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी लक्ष्य के तहत चीन अपनी सीमाओं से जुड़े विवादित क्षेत्रों पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। इस बीच भारत ने एक बार फिर दोहराया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर लगातार स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया गया है।

भारतीय नागरिकों के साथ हालिया घटनाएं भी रिपोर्ट में शामिल
रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश से जुड़े हालिया घटनाक्रमों का भी उल्लेख किया गया है। बताया गया है कि हाल ही में शंघाई एयरपोर्ट पर भारतीय नागरिक प्रेमा थोंगडोक को करीब 18 घंटे तक हिरासत में रखा गया। कारण यह बताया गया कि उनके पासपोर्ट में जन्मस्थान के रूप में अरुणाचल प्रदेश दर्ज था। इस दौरान उन्हें भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी गईं। भारतीय कांसुलेट के हस्तक्षेप के बाद ही उन्हें आगे यात्रा की अनुमति मिल सकी।

इसके अलावा इसी सप्ताह एक भारतीय यूट्यूबर को भी चीन में हिरासत में लिया गया था, क्योंकि उसने अपने वीडियो में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया था। इन घटनाओं को भारत-चीन संबंधों में बढ़ते तनाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

अरुणाचल को ‘दक्षिण तिब्बत’ बताने की चीन की नीति
पेंटागन रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिण तिब्बत” या “जांगनान” कहता है, क्योंकि वह 1914 की मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता। रिपोर्ट के अनुसार, चीन का दावा पहले केवल तवांग क्षेत्र तक सीमित था, लेकिन बाद में उसने पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया। दस्तावेज में यह भी उल्लेख है कि चीन समय-समय पर अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों के नए नाम जारी करता है, ताकि कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा सके।

रणनीति में पाकिस्तान की भूमिका का भी जिक्र
पेंटागन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन की भारत नीति में पाकिस्तान की भूमिका अहम है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन एक ओर भारत के साथ सीमा पर तनाव को नियंत्रित रखने की कोशिश करता है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के जरिए भारत पर दबाव बनाकर उसे अमेरिका के करीब जाने से रोकना चाहता है। इस संदर्भ में रिपोर्ट में ऑपरेशन सिंदूर का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल की बात कही गई है। इसे चीन-पाकिस्तान सैन्य सहयोग के उदाहरण के रूप में देखा गया है।

पेंटागन की इस रिपोर्ट को भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में अरुणाचल प्रदेश को लेकर तनाव और बढ़ सकता है। ऐसे में भारत के लिए कूटनीतिक, सैन्य और रणनीतिक स्तर पर सतर्क रहना बेहद जरूरी माना जा रहा है।

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