Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 May, 2025 07:59 PM

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने मध्य-पूर्व राजनयिक दौरे की शुरुआत सऊदी अरब से की। रियाद पहुंचते ही उन्होंने वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने मध्य-पूर्व राजनयिक दौरे की शुरुआत सऊदी अरब से की। रियाद पहुंचते ही उन्होंने वहां के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा लगभग 142 अरब डॉलर (करीब 107 अरब पाउंड) का है। यह अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा हथियार सौदा माना जा रहा है।
क्या है इस सौदे में खास
इस रक्षा सौदे के तहत अमेरिका, सऊदी अरब को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण और सेवाएं मुहैया कराएगा। अमेरिका की एक दर्जन से ज्यादा रक्षा कंपनियां सऊदी को ये उपकरण सप्लाई करेंगी। इसमें मिसाइल सिस्टम, रडार, युद्धक हेलिकॉप्टर, टैंक और साइबर डिफेंस टेक्नोलॉजी जैसी हाई-टेक सैन्य सेवाएं शामिल होंगी।
व्हाइट हाउस का क्या कहना है
व्हाइट हाउस ने इस सौदे को "इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा बिक्री समझौता" बताया है। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती मिलेगी और खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव बढ़ेगा। इस समझौते से अमेरिका को भी भारी निवेश और रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद है।
दौरे में शामिल रहे एलन मस्क और उद्योग जगत के दिग्गज
ट्रम्प के रियाद दौरे के दौरान एक भव्य दोपहर भोज का भी आयोजन किया गया जिसमें टेस्ला और स्पेस एक्स के प्रमुख एलन मस्क समेत कई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान अमेरिकी कंपनियों और सऊदी अरब के बीच विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और सहयोग को लेकर चर्चाएं हुईं।
ट्रम्प इस दौरे के दौरान सऊदी अरब के अलावा कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भी जाएंगे। इस चार दिवसीय यात्रा के दौरान उनका उद्देश्य अमेरिका में सैकड़ों अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित करना है ताकि देश की अर्थव्यवस्था और नौकरियों में बढ़ोतरी की जा सके।
इज़राइल दौरे को लेकर सवाल
दिलचस्प बात यह है कि ट्रम्प के इस दौरे में इज़राइल को शामिल नहीं किया गया है। हमारे उत्तर अमेरिका संवाददाता एंथनी ज़ुचर के अनुसार यह एक रणनीतिक संकेत भी हो सकता है, क्योंकि अमेरिका इस समय खाड़ी देशों के साथ रक्षा और व्यापार संबंधों को अधिक प्राथमिकता देता दिख रहा है।