Edited By Rahul Rana,Updated: 19 Jun, 2025 03:53 PM

राष्ट्र की असली पहचान उसकी अपनी भाषा से होती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर विशेष जोर देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी भाषाई विरासत को पुनः सहेजना होगा और देशी भाषाओं पर गर्व करते हुए...
National Desk : राष्ट्र की असली पहचान उसकी अपनी भाषा से होती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर विशेष जोर देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपनी भाषाई विरासत को पुनः सहेजना होगा और देशी भाषाओं पर गर्व करते हुए दुनिया में नेतृत्व करना होगा।
विदेशी भाषा से देश को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता
अमित शाह ने यह भी कहा कि जल्द ही इस देश में अंग्रेज़ी बोलने वाले खुद को शर्मिंदा महसूस करेंगे। ऐसा समाज बनाना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन इसके लिए केवल दृढ़ संकल्प वाले लोग ही बदलाव ला सकते हैं। उनका मानना है कि हमारी भाषाएं हमारी संस्कृति के अमूल्य रत्न हैं। बिना अपनी भाषा के हम सच्चे भारतवासी नहीं कहलाएंगे। देश, संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं है।
प्रधानमंत्री के पांच संकल्प
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच प्रणों का उल्लेख किया, जिनमें शामिल हैं विकसित भारत का निर्माण, गुलामी के मानसिक बंधनों से मुक्त होना, अपनी विरासत पर गर्व करना, एकता और अखंडता बनाए रखना, तथा हर नागरिक में कर्तव्यबोध जागृत करना। अमित शाह ने कहा कि ये पांच संकल्प देश के हर नागरिक के लिए मार्गदर्शक बन गए हैं। 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पाने में हमारी भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
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प्रशासनिक प्रशिक्षण में सहानुभूति का समावेश जरूरी
गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री की पुस्तक मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं के विमोचन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहानुभूति को शामिल करने पर बल दिया। शाह ने कहा कि वर्तमान प्रशिक्षण मॉडल ब्रिटिश काल से प्रभावित है, जिसमें सहानुभूति की कोई जगह नहीं है। उनका मानना है कि यदि कोई शासक बिना सहानुभूति के शासन करता है, तो वह अपने शासन के वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त नहीं कर सकता।