Edited By Radhika,Updated: 29 Dec, 2025 11:41 AM

ओडिशा के देवगढ़ जिले से रुलाने वाली घटना सामने आई है। इस घटना ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है। एक छोटे से पारिवारिक विवाद और क्षणिक क्रोध ने न केवल एक हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि एक 5 साल के मासूम को उम्र भर का ऐसा जख्म दे...
नेशनल डेस्क: ओडिशा के देवगढ़ जिले से रुलाने वाली घटना सामने आई है। इस घटना ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर कर रख दिया है। एक छोटे से पारिवारिक विवाद और क्षणिक क्रोध ने न केवल एक हंसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि एक 5 साल के मासूम को उम्र भर का ऐसा जख्म दे दिया जिसकी कल्पना मात्र से रूह कांप जाती है। आइए जानते हैं क्या है पूरी घटना
गुस्से की आग में जल गया आशियाना
घटना देवगढ़ जिले के कुंधेईगोला थाना क्षेत्र के जियानंतापाली गांव की है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गांव के निवासी दुशमंत मांझी और उनकी पत्नी रिंकी मांझी के बीच किसी घरेलू बात को लेकर तीखी तकरार हुई। विवाद इतना बढ़ा कि गुस्से में आपा खोकर दंपती ने एक आत्मघाती कदम उठाने का फैसला किया। वे अपने 5 साल के बेटे को मोटरसाइकिल पर बैठाकर घर से निकल गए और जंगल की ओर चल दिए। मुख्य सड़क से करीब एक किलोमीटर अंदर घने जंगल में जाकर उन्होंने पहले खुद जहरीला पदार्थ पिया और फिर अपने मासूम बेटे को भी वही जहर खिला दिया।
लाशों के बीच रातभर बैठा रहा मासूम
जहर का असर होते ही कुछ ही देर में पिताक मौत हो गई, जबकि मां बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ीं। वह मासूम बच्चा जिसे शायद 'मौत' शब्द का अर्थ भी नहीं पता था, उस कड़कड़ाती ठंड और घने अंधेरे में पूरी रात अपने माता-पिता के पास बैठा रहा। चारों तरफ जंगली जानवरों का खतरा और हाड़ कंपा देने वाली शीत लहर थी, लेकिन वह बच्चा अपनों को छोड़कर कहीं नहीं गया। वह पूरी रात इस उम्मीद में उनके पास बैठा रहा कि शायद वे अभी उठ जाएंगे और उसे गले लगा लेंगे।
ऐसे किया गया रेस्क्यू
जैसे ही सुबह का उजाला हुआ, वह बच्चा किसी तरह हिम्मत जुटाकर जंगल से बाहर मुख्य सड़क तक पहुँचा। वहां से गुजर रहे राहगीरों को उसने आपबीती सुनाई, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुँचे पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग जंगल का दृश्य देखकर दंग रह गए। देवगढ़ के एएसपी (ASP) धीरज चोपड़ा ने बताया कि मां रिंकी की सांसें चल रही थीं, जिन्हें तुरंत पड़ोसी जिले अंगुल के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन बदकिस्मती से इलाज के दौरान उनकी भी मौत हो गई।
कुदरत का करिश्मा
इस पूरी त्रासदी में राहत की बात सिर्फ इतनी रही कि माता-पिता द्वारा दिए गए जहर का बच्चे पर जानलेवा असर नहीं हुआ। डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे खतरे से बाहर और पूरी तरह स्वस्थ घोषित किया है। फिलहाल बच्चे को उसके दादा-दादी को सौंप दिया गया है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है कि आखिर विवाद की मुख्य वजह क्या थी जिसने एक पिता को अपने ही बच्चे का कातिल बनने पर मजबूर कर दिया।