Edited By Tanuja,Updated: 03 May, 2025 01:51 PM

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत को हिला दिया, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को खतरे
Islamabad: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत को हिला दिया, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता को खतरे में डाल दिया। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों जिनमें अधिकतर पर्यटक थे, की मौत हुई। घटना के चंद दिनों बाद चीन के राजदूत जियांग जैदोंग ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की। इस बैठक ने भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच शक्ति संतुलन और राजनयिक प्राथमिकताओं को उजागर कर दिया।
चीन का संदेश-तटस्थता या रणनीतिक पक्षपात ?
चीनी राजदूत ने पाकिस्तान की वैध सुरक्षा चिंताओं" को समर्थन देते हुए भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने की अपील की। यह अपील तब दी गई जब हमला भारत की धरती पर हुआ था। विश्लेषकों का मानना है कि यह चीन की तथाकथित तटस्थता नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीतिक चाल है जिसमें वह आतंक के पीड़ित और संभावित पोषक दोनों से एक समान व्यवहार करता है।
पाकिस्तान को चीन का समर्थन
चीन-पाकिस्तान की नजदीकी कोई रहस्य नहीं है चाहे वह CPEC, ग्वादर पोर्ट, या सुरक्षा सहयोग हो। मगर आतंकवादी घटना के तुरंत बाद चीन का पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होना, यह बताता है कि बीजिंग की प्राथमिकता भारत की सुरक्षा चिंताएं नहीं, बल्कि इस्लामाबाद के हित हैं।
भारत के लिए संकेत
पहलगाम जैसा हमला भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार है। चीन द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देना भारत के लिए केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनयिक मोर्चे पर भी चुनौती है। भारत को अपने वैश्विक साझेदारों के साथ मिलकर चीन-पाक गठजोड़ को बेनकाब करने और क्षेत्रीय शांति के लिए मजबूत रणनीतिक संवाद को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
चीन का दोहरा रवैया
चीन की आतंकवाद की निंदा किए बिना "संयम" की अपील उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रश्नों के घेरे में लाता है। भारत के लिए यह एक अवसर भी है दुनिया के सामने यह दिखाने का कि क्षेत्रीय अस्थिरता का असली स्रोत कहां है, और शांति के असली पक्षधर कौन हैं।