Goa-Lucknow Flight: गोवा से लखनऊ फ्लाइट में टर्बुलेंस का मचा ऐसा तांडव, चश्मदीद ने बताए विमान के अंदर कैसे था डरावना माहौल

Edited By Updated: 17 Jun, 2025 12:19 PM

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गोवा से लखनऊ आ रही एक फ्लाइट में सोमवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब विमान ने टेकऑफ़ के कुछ ही समय बाद जबरदस्त टर्बुलेंस (हवा में झटके) का सामना किया। यात्रियों ने बताया कि फ्लाइट हवा में बुरी तरह हिलने लगी और कई लोग घबरा कर रोने-चिल्लाने लगे। घटना...

नेशनल डेस्क: गोवा से लखनऊ आ रही एक फ्लाइट में सोमवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब विमान ने टेकऑफ़ के कुछ ही समय बाद जबरदस्त टर्बुलेंस (हवा में झटके) का सामना किया। यात्रियों ने बताया कि फ्लाइट हवा में बुरी तरह हिलने लगी और कई लोग घबरा कर रोने-चिल्लाने लगे। घटना के बाद से ही यात्रियों में गहरा डर समा गया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि फ्लाइट में बैठे मुसाफिरों के चेहरे पर भय साफ झलक रहा है।

इस फ्लाइट में कुल 172 यात्री सवार थे, जिनमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना उस समय हुई जब विमान ने गोवा एयरपोर्ट से उड़ान भरी और लगभग 20 मिनट की दूरी तय की थी। अचानक विमान को हवा में ज़ोरदार झटके लगने शुरू हो गए। कुछ यात्रियों का कहना है कि उन्हें ऐसा लगा मानो फ्लाइट सीधा नीचे गिरने वाली है। कई लोग घबरा कर सीट से उठ खड़े हुए और कुछ ने तो रोना तक शुरू कर दिया।

इस घटना में प्रिंसिपल कोरेस्पोंडेंट अलहमरा खान भी मौजूद थीं। उन्होंने खुद इस भयानक अनुभव को अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड किया और सोशल मीडिया पर साझा किया। उनके वीडियो में देखा जा सकता है कि विमान में मौजूद लोग एक-दूसरे को सहारा दे रहे हैं, कुछ लोग रो रहे हैं, और सभी बेहद डरे हुए हैं।

इस भयावह अनुभव के बाद यात्रियों ने फ्लाइट की सेफ्टी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। एक यात्री ने घटना की जानकारी ट्विटर के माध्यम से डीजीसीए (DGCA) और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचाई। उस ट्वीट में साफ तौर पर लिखा गया कि “यह उड़ान यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ थी और इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए।”

मामले की गंभीरता को देखते हुए अब यात्रियों ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से इस घटना की सख्त जांच की मांग की है। यात्रियों का कहना है कि यदि पायलट सतर्क न होता, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था। उनके अनुसार, एयरलाइन ने पहले से इस संभावित टर्बुलेंस की कोई जानकारी नहीं दी थी, न ही यात्रियों को मानसिक रूप से तैयार किया गया।

जानकारों का मानना है कि इस प्रकार की स्थिति में पायलट का अनुभव और सूझबूझ ही जान बचाने का सबसे बड़ा सहारा बनती है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या एयरलाइन ने मौसम की पूरी जानकारी लेकर उड़ान भरी थी? क्या फ्लाइट से पहले तकनीकी निरीक्षण ठीक से हुआ था?

घटना के दौरान फ्लाइट के केबिन क्रू की तैयारी भी सवालों के घेरे में आ गई है। कुछ यात्रियों ने आरोप लगाया है कि क्रू मेंबर्स खुद घबराए हुए थे और यात्रियों को ठीक से गाइड नहीं कर पा रहे थे। एक यात्री ने कहा, “उन्होंने सिर्फ यही कहा कि सीट बेल्ट बांध लें और सिर झुका लें। कोई आश्वासन नहीं मिला।” वहीं, एयरलाइंस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे यात्रियों की चिंता और भी बढ़ गई है।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जून महीने में दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता के कारण हवा में अस्थिरता बनी रहती है। इस दौरान टर्बुलेंस के मामलों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन एयरलाइंस को इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। यदि मौसम खराब होने की संभावना हो, तो उड़ान को टालना या वैकल्पिक रूट अपनाना एक सुरक्षित विकल्प होता है।

इस घटना ने कुछ महीने पहले हुए अहमदाबाद फ्लाइट हादसे की यादें ताजा कर दीं, जहां एक विमान हवा में असंतुलित होकर ज़ोरदार टर्बुलेंस में फंस गया था, जिसमें कई यात्रियों को चोटें भी आई थीं। उस समय DGCA ने तत्काल कार्रवाई की थी और संबंधित एयरलाइन से जवाब-तलब किया गया था। अब सवाल यह है कि क्या गोवा-लखनऊ फ्लाइट में भी वही लापरवाही दोहराई गई? या फिर यह सिर्फ एक प्राकृतिक परिस्थिति थी जिसे टालना मुश्किल था?

घटना के बाद यात्रियों ने फ्लाइट की सेफ्टी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। एक यात्री ने घटना की जानकारी ट्विटर के माध्यम से डीजीसीए (DGCA) और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) तक पहुंचाई। उस ट्वीट में साफ तौर पर लिखा गया कि “यह उड़ान यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ थी और इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए।”

मामले की गंभीरता को देखते हुए अब यात्रियों ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से इस घटना की सख्त जांच की मांग की है। यात्रियों का कहना है कि यदि पायलट सतर्क न होता, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था। उनके अनुसार, एयरलाइन ने पहले से इस संभावित टर्बुलेंस की कोई जानकारी नहीं दी थी, न ही यात्रियों को मानसिक रूप से तैयार किया गया। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जून महीने में दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता के कारण हवा में अस्थिरता बनी रहती है। इस दौरान टर्बुलेंस के मामलों में वृद्धि हो सकती है, लेकिन एयरलाइंस को इसके लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। यदि मौसम खराब होने की संभावना हो, तो उड़ान को टालना या वैकल्पिक रूट अपनाना एक सुरक्षित विकल्प होता है।

 

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