Edited By Sahil Kumar,Updated: 25 Dec, 2025 06:17 PM

चांदी की कीमतों ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रिकॉर्ड तेजी के साथ चांदी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज से लेकर वैश्विक बाजारों तक, चांदी ने महज एक साल के भीतर असाधारण...
नेशनल डेस्कः चांदी की कीमतों ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रिकॉर्ड तेजी के साथ चांदी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बन गई है। भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज से लेकर वैश्विक बाजारों तक, चांदी ने महज एक साल के भीतर असाधारण रिटर्न दिया है, जिससे 1980 में आए ऐतिहासिक उछाल की यादें ताज़ा हो गई हैं। इस तेज़ी ने न सिर्फ सोने को पीछे छोड़ दिया है, बल्कि कच्चे तेल से भी ऊंचे स्तर पर चांदी को पहुंचा दिया है।
भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर 2024 से दिसंबर 2025 के बीच चांदी ने करीब 144 फीसदी का रिटर्न दिया है। इस दौरान चांदी का भाव 85,146 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 2,08,062 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की चाल कुछ ऐसी ही रही। 2025 की शुरुआत में चांदी करीब 30 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी, जो अब 69 डॉलर प्रति औंस के पार निकल चुकी है। यानी एक साल से भी कम समय में चांदी की कीमत दोगुनी से ज्यादा हो गई है। इस तेज उछाल के साथ ही एक बार फिर 1980 में आए ऐतिहासिक चांदी बूम की चर्चा तेज हो गई है।
साल के आखिरी महीनों में आई सबसे बड़ी तेजी
न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज के कॉमेक्स प्लेटफॉर्म पर जनवरी में चांदी करीब 30 डॉलर प्रति औंस के आसपास थी। गर्मियों के दौरान यह 37 से 40 डॉलर के दायरे में बनी रही, लेकिन सितंबर के बाद इसमें जबरदस्त तेजी देखने को मिली। खासतौर पर साल के आखिरी तीन महीनों में चांदी की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल दर्ज किया गया।
अब तक चांदी की कीमतों में 110 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। आमतौर पर तेजी के दौर में सोना, चांदी से बेहतर प्रदर्शन करता है, लेकिन इस बार तस्वीर उलट रही। जहां चांदी 100 फीसदी से ज्यादा चढ़ी, वहीं सोने में करीब 60 फीसदी की तेजी ही देखने को मिली।
1980 में पहली बार दिखा था ऐसा उछाल
चांदी के इतिहास में जनवरी 1980 को बेहद अहम माना जाता है। उस समय अमेरिका के अरबपति नेल्सन बंकर हंट और विलियम हंट ने चांदी के बाजार पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हंट ब्रदर्स ने दुनिया की करीब एक-तिहाई चांदी खरीद ली थी, जिसके चलते इसकी कीमत 6 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर करीब 49 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई।
हंट भाइयों का मानना था कि बढ़ती महंगाई के कारण करेंसी की वैल्यू गिरेगी और चांदी की कीमतें लगातार बढ़ेंगी। इसी सोच के तहत उन्होंने बड़े पैमाने पर चांदी खरीदी और उधार लेकर फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में भी निवेश किया। हालांकि, जैसे ही अमेरिकी नियामकों ने दखल दिया और मार्जिन पर नए फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स पर रोक लगाई, पूरा खेल पलट गया।
एक ही दिन में 50 फीसदी तक गिरी थी कीमत
27 मार्च 1980 को हंट ब्रदर्स मार्जिन कॉल पूरी नहीं कर पाए। इसके बाद ब्रोकरों ने बड़े पैमाने पर चांदी की बिकवाली शुरू कर दी। नतीजतन, एक ही दिन में चांदी की कीमत 50 फीसदी से ज्यादा गिर गई। हंट भाइयों को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ और उन्हें दिवालिया होना पड़ा। इस गिरावट में हजारों निवेशकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसी घटना के बाद चांदी को “शैतान की धातु” कहा जाने लगा।
चार दशक बाद फिर इतिहास
करीब चार दशक बाद चांदी ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। भारत में इसका भाव पहली बार 2 लाख रुपये प्रति किलो के पार पहुंचा है। खास बात यह है कि इस बार चांदी की कीमत कच्चे तेल से भी ऊपर निकल गई है, जो 1980 के बाद पहली बार देखने को मिला है।