Edited By Tanuja,Updated: 03 Nov, 2025 02:13 PM

भारत सरकार चीन की 90% पकड़ तोड़ने के लिए 7,000 करोड़ रुपये की ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ योजना ला रही है। इससे भारत इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनेगा। पांच कंपनियों को PLI और कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं, भारत...
International Desk: भारत अब उस रणनीतिक उद्योग में प्रवेश करने जा रहा है, जिस पर अब तक चीन का एकाधिकार रहा है। केंद्र सरकार ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ क्षेत्र में चीन की पकड़ तोड़ने के लिए 7,000 करोड़ रुपये की मेगा इंसेंटिव योजना लाने जा रही है। यह योजना कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू होगी, जिससे भारत इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन ऊर्जा और रक्षा उपकरणों के लिए एक बड़ा वैश्विक सप्लायर बन सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पहले इस योजना के लिए लगभग 2,400 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित था, जिसे अब बढ़ाकर 7,000 करोड़ रुपये किया गया है। योजना के तहत पांच बड़ी कंपनियों को प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और कैपिटल सब्सिडी दी जाएगी, ताकि देश में ही रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन शुरू किया जा सके।
दुनिया के 90% बाजार पर चीन का कब्जा
रेयर अर्थ मैग्नेट आज हर स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, वायु टर्बाइन और रक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं। फिलहाल इन चुंबकों के वैश्विक उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 90% से अधिक है। हाल के वर्षों में चीन ने इन खनिजों के निर्यात नियमों को सख्त कर सप्लाई चेन पर दबाव बनाया है, जिससे अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में संकट की स्थिति पैदा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में कहा था कि “महत्वपूर्ण खनिजों का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ हथियार की तरह नहीं होना चाहिए।”

भारत की ‘मैग्नेटिक क्रांति’
भारत सरकार अब इस क्षेत्र में स्थिर और भरोसेमंद सप्लाई चेन विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस योजना से देश को न केवल चीन पर निर्भरता से मुक्ति मिलेगी बल्कि हजारों नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत यदि उत्पादन का यह लक्ष्य हासिल कर लेता है, तो वह वैश्विक मैग्नेट बाजार में दूसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।

‘मेक इन इंडिया’ का नया अध्याय
रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन में सबसे बड़ी बाधा उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता की है, जो अभी चीन के पास है। इसके अलावा, खनिजों के खनन में पर्यावरणीय जटिलताएं और लागत भी बड़ी चुनौती हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार वैकल्पिक तकनीक जैसे सिंक्रोनस रिलक्टेंस मोटर्स पर शोध करवा रही है, ताकि इन चुंबकों पर निर्भरता धीरे-धीरे घटाई जा सके। सरकार के इस कदम को ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के अगले चरण के रूप में देखा जा रहा है। यह योजना न सिर्फ चीन के दबदबे को चुनौती देगी बल्कि भारत को वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।